Sarva Pitru Amavasya 2023: शास्त्रों के मुताबिक अश्विन माह में आने वाली अमावस्या यानी सर्वपितृ अमावस्या को श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन माना जाता है. इस दिन के बाद पितृपक्ष का समापन होता और फिर अगले दिन से नवरात्रि की शुरुआत होती है. उदयातिथि के अनुसार अमावस्या की तिथि 14 अक्तूबर को है. इस दिन शनिवार होने से ये शनिश्चरी अमावस्या भी कहलाएगी. ऐसे में सर्व पितृ अमावस्या पर पितरों को श्राद्ध व तर्पण के साथ विदाई दी जाएगी. उत्तर प्रदेश में वाराणसी, प्रयागराज के गंगा के घाट से लेकर अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों में पितृ विसर्जन के सभी अनुष्ठान पूर्ण होंगे. पिशाचमोचन कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्ध और नारायण बलि भी दी जाएगी. शनिवार को पितृ विसर्जन पर भगवान विष्णु के हंसस्वरूप की पूजा के साथ ही पितरों के आशीर्वाद के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाएगा. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक सूर्यग्रहण के भारत में दिखाई नहीं देने के कारण श्रद्धालुओं को तर्पण करने के लिए पूरा समय मिलेगा. ऐसे में पितरों का तर्पण करने वाले लोगों को चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है, वह सूर्य ग्रहण को लेकर मन में कोई शंका नहीं रखें. विधि विधान और श्रद्धाभाव से पितरों का तर्पण करें. काशी विद्वत परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि उदया तिथि के मुताबिक, इस बार सर्व पितृ अमावस्या 14 अक्तूबर को है. अमावस्या तिथि का आरंभ 13 अक्तूबर को रात 9:50 बजे हो गया है. इसका समापन 14 अक्तूबर को रात 11:24 बजे होगा.
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