नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के रौद्र रूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. शक्ति का एक शक्तिशाली रूप, कात्यायनी को महिषासुरमर्दिनी या राक्षस महिषासुर का वध करने वाली के रूप में भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों का ‘मांगलिक दोष’ दूर हो जाता है.
कहा जाता है कि महिषासुर से युद्ध के दौरान जब मां कात्यायनी थक गईं थीं तो उन्होंने शहद के साथ पान खाया था, इसे खाने के बाद उनकी थकान दूर हो गई थी और उन्होंने महिषासुर का वध कर दिया था, इसलिए जो लोग देवी कात्यायनी की पूजा करते हैं, उन्हें शहद से बनी चीजें अर्पित करनी चाहिए. इससे वह प्रसन्न होती हैं और आपकी इच्छाएं पूरी करती हैं.
नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी को शहद से बनी खीर का भोग लगाने से मां खुश हो जाती हैं और आपकी मनोकामना पूर्ण होती हैं.
मां कात्यायनी को खीर के अलावा आप बादाम से बनी हलवा का भी भोग लगा सकते हैं.
गोपियों ने कृष्ण की प्राप्ति के लिए देवी कात्यायनी की पूजा की थी. साथ ही विवाह संबंधी मामलों के लिए इनकी पूजा सबसे अचूक मानी जाती है. इनकी पूजा करने से योग्य और मनचाहा पति की मनोकामनाएं पूरी होती है. ज्योतिष में बृहस्पति का सम्बन्ध मां कात्यायनी माना जाता है.
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