अंतरिम कुलपतियों के रूप में नियुक्त किए गए लोगों को कोई विशेषाधिकार नहीं
राज्य विश्वविद्यालयों में अस्थायी कुलपतियों की नियुक्ति के आचार्य सीवी आनंद बोस के फैसले को चुनौती देते हुए राज्य ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार और बोस के बीच संघर्ष के परिणामस्वरूप राज्य के 31 विश्वविद्यालयों में अभी भी कोई स्थायी कुलपति नहीं है. 21 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने स्थायी कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था. इसके बाद 15 सितंबर को हुई आखिरी सुनवाई में एक कदम आगे बढ़कर खुद सर्च कमेटी बनाने का फैसला किया गया था.
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सर्च कमेटी बनाने का लिया गया था फैसला
शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य सरकार, राज्यपाल और यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) को खोज समिति के लिए तीन से पांच प्रतिष्ठित व्यक्तियों के नामों देने का आदेश दिया गया था. वहीं, राज्यपाल और विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति ने भी सवाल उठाया कि अदालत के आदेश के बावजूद कुलपति की नियुक्ति पर वह राज्य सरकार के साथ बैठक में क्यों नहीं बैठे ? उसी दिन जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि वे राज्यपाल के जवाब के भरोसे नहीं बैठेंगे.
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अभी तक सर्च कमेटी का गठन नहीं हुआ
सूत्रों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सभी दलों ने नामों की सिफारिश कर दी है, लेकिन अभी तक सर्च कमेटी का गठन नहीं हुआ है. विवाद के बीच बोस ने 1 अक्टूबर को राज्य के छह अन्य विश्वविद्यालयों में अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति की. इनमें से एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी हैं. उस समय शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने कहा था कि वे इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का ध्यान आकर्षित करेंगे. राज्य शिक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक इसके अलावा राज्यपाल के प्रतिनिधि के रूप में जिन चार लोगों के नाम सौंपे गए हैं उनमें से दो नामों पर शीर्ष अदालत का ध्यान आकर्षित किया जाएगा. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस सुनवाई में राज्यपाल ने बड़ा झटका दिया है.
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