शुभेंदु का ममता पर हमला, मुख्यमंत्री नहीं चाहती है किसी की नौकरी हो और केंद्र की योजनाओं को चुराना TMC की आदत

ममता बनर्जी एक व्यक्ति के वेतन के पैसे से कई लोगों को लक्ष्मी भंडार देकर वोट की राजनीति कर रही हैं. वह सड़कों पर बैठे अभ्यार्थियों का दर्द नहीं समझ पा रही है.धर्म की राजनीति करने में व्यस्त है .

By Shinki Singh | August 3, 2023 2:05 PM
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भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने एक बार फिर ममता सरकार पर जमकर हमला बोला है. भाजपा नेता का कहना है कि मुख्यमंत्री नहीं चाहती कि किसी को नौकरी मिले. ममता बनर्जी एक व्यक्ति के वेतन के पैसे से कई लोगों को लक्ष्मी भंडार देकर वोट की राजनीति कर रही हैं. वह सड़कों पर बैठे अभ्यार्थियों का दर्द नहीं समझ पा रही है. धर्म की राजनीति करने में व्यस्त है तभी तो मदरसों की शिक्षा प्रणाली को लेकर बेहद चिंतित नजर आ रही है.बंगाल में नौकरी, उद्योग और व्यवसाय के अनुकूल माहौल नहीं है. पिछले 12 वर्षों में, कोई नया हवाई अड्डा, बंदरगाह, रेलवे गलियारा नहीं बनाया गया है. गलत बयान देना और केंद्र सरकार की योजनाओं को चुराना टीएमसी की आदत है.

शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि 67 प्रतिशत अल्पसंख्यक आबादी वाले निर्वाचन क्षेत्र सागरदिघी विधानसभा उपचुनाव में हार तृणमूल के लिये चौंकाने वाली बात थी. यहां तक ​​कि पंचायत चुनावों में भी उन क्षेत्रों में जहां लोग मतदान कर सकते थे, अल्पसंख्यक समुदाय ने टीएमसी पार्टी से मुंह मोड़ लिया. अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को अब एहसास हो गया है कि टीएमसी पार्टी केवल खोखले प्रतीकात्मक इशारों में लगी हुई है और उन्हें अपने वास्तविक विकास की कोई परवाह नहीं है.

भाजपा नेता का कहना है कि तृणमूल पार्टी के नेता घबराये हुए है. इसलिए अनिवार्य प्रतिक्रिया के तौर पर वे इमाम साहबों से मिल रहे हैं. पिछले 10 वर्षों से उनसे मिलने और उनकी चिंताओं को दूर करने का समय नहीं मिल सका. तृणमूल नेता फिरहाद हकीम, सिद्दीकुल्ला चौधरी, जावेद अहमद खान और अन्य ने 21 अगस्त 2023 को नेताजी इंडोर स्टेडियम में ऑल बंगाल इमाम कॉन्फ्रेंस आयोजित करने के इरादे से कई इमाम साहबों से मुलाकात की. मुझे उम्मीद है कि यह सम्मेलन इमाम साहबों की भलाई और बेहतरी पर केंद्रित होगा.

शभेंदु अधिकारी का कहना है कि मैं आदरणीय इमाम साहबों से आग्रह करता हूं कि कृपया सम्मेलन में बेरोजगारी का मुद्दा उठाएं. पश्चिम बंगाल के लगभग 50 लाख लोग भारत के अन्य राज्यों में प्रवासी मजदूरों के रूप में काम करते हैं. उनमें से लगभग 70% अल्पसंख्यक समुदाय से हैं. कृपया सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं से पूछें, जो पश्चिम बंगाल सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर हैं. इन लोगों को वापस लाने के लिए राज्य सरकार ने क्या उपाय किये हैं ?

सत्तारूढ़ टीएमसी पार्टी अल्पसंख्यक समुदाय को गलत जानकारी देकर भड़काने का प्रयास कर रही है. लोकसभा चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं और अल्पसंख्यक वोटों के पार्टी से दूर चले जाने के डर से, वे गलत सूचना फैलाकर समुदाय के सदस्यों के बीच डर पैदा करने के नए तरीके खोज रहे हैं. उन्हें लगता है कि इससे अल्पसंख्यक वोटों का एकीकरण होगा और वे इसे अपने पक्ष में करने में सफल होंगे.

केंद्र सरकार ने ऐसी योजनाएं शुरू की हैं, जिनसे सबसे गरीब लोगों को लाभ हुआ है, चाहे उनकी जाति और धर्म कुछ भी हो.चाहे वह प्रधान मंत्री आवास योजना हो, प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना या एनएफएसए, जल जीवन मिशन और कई अन्य जन कल्याणकारी योजनाओं के तहत प्रति माह 5 किलो अनाज का लाभ पाने के लिये एकमात्र पात्रता यह है कि लाभार्थी को भारतीय होना चाहिए उसका धर्म अप्रासंगिक है.

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि देश में अल्पसंख्यक समुदाय की आबादी लगभग 20 फीसदी है, लेकिन ऐसी योजनाओं का लाभ उठाने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के लाभार्थियों का प्रतिशत लगभग 40 फीसदी है. केंद्र सरकार ने गरीबों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए बहुत मेहनत की है और लगातार प्रयास कर रही है और उनमें से अधिकांश अल्पसंख्यक समुदाय से हैं. केन्द्र की नीतियां आम जनता के हित में है.

शुभेंदु अधिकारी का कहना है कि सबसे अधिक स्कूल छोड़ने वाले लोग अल्पसंख्यक समुदाय से हैं. बहुत कम लोग उच्च शिक्षा प्राप्त कर पाते हैं. सजावटी योजनाओं की घोषणा कर ममता बनर्जी लोगाें को बेवकूफ बना रही है. सरकार ने अल्पसंख्यक समुदाय के लिये क्या किया है.

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