नये टेलीकॉम बिल के अनुसार, अगर कोई राष्ट्रीय सुरक्षा, दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के हित के खिलाफ कोई भी काम करता है और अवैध रूप से दूरसंचार उपकरणों का उपयोग करता है, तो उसको 3 तीन साल तक की कैद की सजा सुनाई जा सकती है या 2 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों सजा दी जा सकती है.
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इसके साथ ही, अगर केंद्र सरकार उचित समझे तो ऐसे व्यक्ति की दूरसंचार सेवा निलंबित या समाप्त भी कर सकती है. इसके अलावा, कोई भी महत्वपूर्ण दूरसंचार बुनियादी ढांचे या दूरसंचार नेटवर्क को नुकसान पहुंचाता है, तो वह नुकसान के एवज में मुआवजे और 50 लाख रुपये तक के जुर्माने के लिए उत्तरदायी होगा.
हाल ही में संसद के दोनों सदनों में पारित हुए दूरसंचार विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है. इसके साथ ही ‘दूरसंचार अधिनियम, 2023’ इस क्षेत्र को निवेशकों के अनुकूल बनाने के लिए एक सदी पुराने कानून को बदलने के लिए तैयार है. यह उपयोगकर्ता की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के साथ संचार को बाधित करने के लिए सरकार को शक्तियां भी देता है.
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हालांकि प्रसारण और व्हाट्सऐप तथा टेलीग्राम जैसी सेवाएं इसके दायरे में नहीं रखी गई हैं लेकिन यह स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए नियमों को मजबूती देता है और उपग्रह-आधारित संचार सेवाओं के लिए नीलामी के बगैर स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए रास्ता प्रदान करता है.
दूरसंचार अधिनियम को लोकसभा ने 20 दिसंबर और राज्यसभा ने 21 दिसंबर को मंजूरी दी थी. इसमें सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में अस्थायी रूप से दूरसंचार सेवाओं का नियंत्रण लेने की अनुमति दी गई है.
यह कानून 1885 के भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम (1933) और टेलीग्राफ तार (गैरकानूनी कब्जा) अधिनियम (1950) के आधार पर दूरसंचार क्षेत्र के लिए मौजूदा एवं पुराने नियामकीय ढांचे को खत्म करता है.
राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना के अनुसार, संसद के इस अधिनियम को 24 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई और इसे सामान्य जानकारी के लिए प्रकाशित किया गया है. दूरसंचार अधिनियम, 2023 में किये गए संरचनात्मक सुधारों का मकसद दूरसंचार क्षेत्र में लाइसेंस की जटिल प्रणाली को व्यवस्थित करना और एक सरल प्राधिकरण व्यवस्था की शुरुआत करना है.