शुक्रवार की रात सोशल डिस्टैंसिंग का अनुपालन करते हुए मां लक्ष्मी के चंद भक्त जगन्नाथ मंदिर के निकटवर्ती लक्ष्मी मंदिर से पूजा- अर्चना कर मां लक्ष्मी के कांस्य प्रतिमा को एक पालकी पर लेकर गुंडिचा मंदिर पहुंचेंगे. यहां मंदिर के चौखट पर दस्तक देने के बाद सभी रस्मों को निभाया जायेगा.
इसके बाद श्रद्धालु मां लक्ष्मी की प्रतिमा को पालकी पर लेकर प्रभु जगन्नाथ के रथ नंदीघोष के पास पहुंचेंगे तथा रथ के एक के हिस्से की कुछ लकड़ियों को तोड़ कर वापस अपने मंदिर में पहुंचेंगे. अमुमन देखा जाता है कि रथ भंगिनी की इस परंपरा में काफी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते है. लेकिन, इस वर्ष कोविड-19 को लेकर जारी गाइडलाइन के कारण इस अनुष्ठान में मंदिर के चंद सेवायत ही मौजूद रहेंगे. सरायकेला, खरसावां व हरिभंजा के जगन्नाथ मंदिर में सादगी के साथ सभी रस्मों को निभाया जायेगा.
Also Read: Jagannath Rath Yatra 2021 : झारखंड में रथ यात्रा पर कोरोना का साया, सादगी से हुई भगवान जगन्नाथ की पूजा
क्या है धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यता है कि भाई-बहन के साथ गुंडिचा मंदिर गये प्रभु जगन्नाथ के 5 दिन बाद भी श्रीमंदिर वापस नहीं लौटने पर मां लक्ष्मी नाराज हो जाती है. रथ यात्रा के पांचवें दिन मां लक्ष्मी स्वयं सखियों संग गुंडिचा मंदिर जाकर प्रभु जगन्नाथ से वापस श्रीमंदिर लौटने का आग्रह करती है. जब प्रभु जगन्नाथ तत्काल गुंडिचा मंदिर से श्रीमंदिर वापस नहीं लौटते हैं, तो नाराज मां लक्ष्मी प्रभु जगन्नाथ को कोसते हुए प्रभु जगन्नाथ के रथ नंदिषोघ को तोड़ देती है.
कोविड-19 को लेकर सरकार की ओर से जारी निर्देशों का अनुपालन करते हुए शुक्रवार को देर शाम इस धार्मिक परंपरा को खरसावां व हरिभंजा में निभाया जायेगा. इस धार्मिक अनुष्ठान को भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है.
Posted By : Samir Ranjan.