ममता बनर्जी की बैठक में शामिल हुई 17 पार्टियां
समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (डीएमके) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अलावा कांग्रेस और वाम दलों के नेता ममता द्वारा बुलायी गयी बैठक में शामिल हुए थे. शिवसेना, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भाकपा-एमएल, नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), जनता दल (सेक्युलर), आरएसपी, आईयूएमएल, राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के प्रतिनिधि भी बैठक में शरीक हुए.
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ममता बनर्जी की बैठक से दूर रहे कई दल
बीजू जनता दल (बीजेडी), तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), आम आदमी पार्टी (आप), शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम जैसे दल बैठक से दूर रहे. तृणमूल कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुखेंदु शेखर रे ने कहा, ‘विपक्षी दलों ने एक साझा उम्मीदवार की जरूरत पर चर्चा की. इस तरह से बैठक सफल रही. हालांकि, रातोंरात कुछ नहीं हुआ करता, लेकिन यह एक उपयुक्त शुरुआत है.’
विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश
यह पूछे जाने पर कि क्या विभिन्न विपक्षी दलों को एकजुट करना राष्ट्रपति चुनाव तक सीमित रहेगा, उन्होंने कहा, ‘कोशिश को राष्ट्रपति चुनाव से आगे ले जाना होगा.’ टीएमसी के एक अन्य नेता ने कहा कि ममता ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से बात करने के बाद ही पहल की होगी. उन्होंने कहा, ‘ममता बनर्जी ने सोनिया गांधी से बात की और उसके बाद ही उन्होंने यह बैठक बुलायी थी. यही कारण है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी उसमें मौजूद थे.’
गोवा और त्रिपुरा में तृणमूल का खाता भी नहीं खुला
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अपनी शानदार जीत के बाद टीएमसी का गोवा विधानसभा चुनाव में खाता तक नहीं खुला और उसे सिर्फ 5.21 प्रतिशत मत मिले थे. त्रिपुरा में भी इसने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, लेकिन अगरतला नगर निगम चुनाव में भाजपा के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी.
कांग्रेस की जगह लेना चाहती है तृणमूल कांग्रेस
टीएमसी के एक अन्य नेता ने कहा कि किसी न किसी को विपक्षी मोर्चा बनाने की कोशिश शुरू करनी होगी, क्योंकि ‘कांग्रेस पूरी तरह से भ्रम की स्थिति में’ है. राजनीतिक विश्लेषक एवं रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के प्राध्यापक विश्वनाथ चक्रवर्ती ने कहा कि बैठक काफी हद तक सफल रही और टीएमसी प्रमुख की कोशिशों का लक्ष्य विपक्षी मोर्चे के केंद्र के तौर पर कांग्रेस की जगह लेना है.