‘कल तुम्हारी पहचान इस बात से नहीं होगी कि तुम किस परिवार से हो, तुम्हारी पहचान इस बात से होगी कि तुमलोगों ने समाज को क्या दिया है. समाज के लिए कुछ करने की खातिर तुम सभी को पढ़ना होगा. तुम खुद जितना अधिक शिक्षित बनाेगे, समाज में तुम्हारी भूमिका उतनी सशक्त होगी.’ यह कथन झारखंड आंदोलन के पितामह बिनोद बिहारी महतो उर्फ बिनोद बाबू की है. झारखंड सोमवार को बिनोद बाबू की 32वीं पुण्यतिथि मना रहा है. वह तीन बार विधायक और एक बार सांसद रहे. बिनोद बाबू के पौत्र राहुल महतो उनको याद करते हुए उनकी उपरोक्त नसीहत को दोहराते हैं. राहुल कहते हैं- 18 दिसंबर 1991 को जब बिनोद बाबू का निधन हुआ था, वह 10 वर्ष के थे. राहुल याद करते हुए कहते हैं- जब दादाजी शाम में घर आते थे, तो सभी बच्चों के साथ वह भी उनके कमरे में जाते. वह सभी बच्चों से उनकी पढ़ाई पर बात करते थे. सभी को शिक्षा का महत्व बताते हुए नसीहत देते थे. राहुल बताते हैं- घर के सभी बच्चे दादाजी के पास जाते. चॉकलेट के लिए उनकी मालिश करते थे. इसी दौरान उन्हें दादाजी का यह अनमोल ज्ञान मिलता था. घर के सभी बच्चे उनसे मन लगाकर पढ़ने का वादा करते थे. राहुल के अनुसार, तब दादाजी की गूढ़ बातों का महत्व उनकी समझ में नहीं आती थी. वह दादाजी को देखते कि घर के प्रत्येक बच्चे की शिक्षा पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान देते थे.
संबंधित खबर
और खबरें