पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट दबाया
दरअसल, बारासगवर थाना क्षेत्र के लालमनखेड़ा गांव में 19 नवंबर को वीरेंद्र कुमार पासवान के बेटे मयंक (9), बेटी हिमांशी (8), हिमांक (6) और मांशी (4) के शव घर के अंदर कमरे में पड़े मिले थे. शवों के ऊपर बिजली का पंखा (फर्राटा) पड़ा हुआ था. पंखा देख सभी ने करंट से मौत होने की आशंका जताई थी. पुलिस ने शवों का कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जहर देने के साथ गला दबाने से मौत की पुष्टि हुई थी. लेकिन, पुलिस ने पूरे घटनाक्रम की कहानी ही बदल दी थी. एसपी के मुताबिक बच्चों की मौत करंट लगने से हुई थी न कि जहर खाने से. घटना को दबाने के लिए पुलिस ने छह दिन तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की. मृत बच्चों के परिजन और राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य श्याम त्रिपाठी के कहने के बाद भी पुलिस ने उन्हें रिपोर्ट नहीं दिखाई. घटना के बाद से बच्चों के ननिहाल पक्ष से नानी, मामा और चचेरे मामा ने भी हत्या की बच्चों के पिता वीरेंद्र पर ही आशनाई के चक्कर में हत्या का आरोप लगाया.
पत्नी ने पति के खिलाफ थाने में दी तहरीर
इस बीच वीरेंद्र पासवान ने 20 नवंबर को जहर खा लिया. हालत में सुधार होने के बाद भी पुलिस ने उसे आनन-फानन कानपुर हैलट रेफर करा दिया था. 23 नवंबर को हैलट में भर्ती पिता की हालत में सुधार होने पर वह घर लौटा और बच्चों को जहर देने के साथ गला दबाकर हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया. उसके मुताबिक बच्चों को करंट दिया ही नहीं गया था. पति के जुर्म कबूल करते पत्नी शिवदेवी ने पति के खिलाफ थाने में तहरीर दी है. तहरीर के बाद पुलिस ने वीरेंद्र को हिरासत में लिया. वहीं एसपी सिद्धार्थशंकर मीना ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में तो करंट से मौत आई थी. पता नहीं क्यों वीरेंद्र खुद जहर देकर हत्या करने की बात कह रहा है. वह दो बच्चों का गला दबाने की बात भी कह रहा है लेकिन, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ऐसा कुछ भी सामने नहीं आया. बताया कि विसरा जांच के लिए भेजे गए हैं. जल्द से जल्द रिपोर्ट मंगवाने का प्रयास कर रहे हैं.
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