पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि कलकत्ता हाइकोर्ट ने पंचायत चुनाव के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश देकर अपनी न्यायिक शक्तियों की हदें पार की हैं. आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि हाइकोर्ट ने उन्हें अपनी बात रखने का मौका ही नहीं दिया. एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय होने के नाते पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव कराने और उससे जुड़े फैसले लेने के लिए उसके पास अधिकार है. यह मान लिया गया कि राज्य प्रशासन द्वारा स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए किया गया प्रबंध अपर्याप्त है. आयोग ने दावा किया है कि केंद्रीय बलों की तैनाती भी आम जनता में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की भावना पैदा करने की गारंटी नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करने के लिए सहमति जतायी है. वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष सोमवार को इस मामले का उल्लेख किया और तत्काल सुनवाई की मांग की. राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से पेश अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने बताया कि आदेश के खिलाफ अपील गत शुक्रवार को दायर की गयी थी,लेकिन सुनवाई नहीं हुई. हाइकोर्ट ने 15 जून को आयोग को निर्देश दिया था कि पंचायत चुनाव के लिए पूरे पश्चिम बंगाल में केंद्रीय बलों की तैनाती के लिए 48 घंटे के अंदर मांग की जाए और उनकी तैनाती की जाए. अदालत ने कहा था कि चुनाव प्रक्रिया के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में केंद्रीय बलों को तैनात करने के लिए 13 जून को उसके द्वारा आदेश पारित किए जाने के बाद से अब तक कोई सराहनीय कदम नहीं उठाया गया है. इसके बाद ही हाइकोर्ट ने पूरे राज्य में केंद्रीय सुरक्षा बल तैनात करने का आदेश दिया था.
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