परियोजनाओं में खर्च कर देती है कर्मचारियों के वेतन और डीए का पैसा
सरकारी कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष देबाशीष सील ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार, कर्मचारियों को वेतन और उन्हें मिलने वाले डीए का पैसा अन्य परियोजनाओं में लगा देती है. राज्य सरकार भले दावा करे कि केंद्र की ओर से उसे पैसे नहीं मिलते, लेकिन उसे यह समझना होगा कि केंद्र कभी भी राज्य सरकार को डीए के लिए पैसे नहीं देती. डीए का पैसा राज्य को खुद देना होता है. इसके अलावा केंद्र अगर पैसा देगा भी, तो वह विभिन्न परियोजनाओं के लिए देगा, डीए के लिए नहीं.
डीए बकाया 80 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा
श्री सील कहते हैं कि राज्य सरकार को बकाया डीए और मौजूदा डीए देने के लिए 80 हजार करोड़ रुपये से अधिक की जरूरत होगी. उनकी मांग के समर्थन में स्पेशल एपीलेट ट्राइब्यूनल (एसएटी) और फिर कलकत्ता हाईकोर्ट का भी फैसला आ गया है. हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी है. वहां 15 मार्च को सुनवाई है. उन्हें आशा है कि फैसला उनके हक में ही आयेगा. राज्य सरकार जब तक उनकी न्यायोचित मांग को स्वीकार नहीं करती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा. आगे चलकर आंदोलन और वृहत्तर रूप धारण करेगा.
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