यौन अपराधों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाती महिला

भारत में दलितों के उत्पीड़न के खिलाफ़ आवाज़ें उठती रही हैं. मानवाधिकार संगठनों के अनुसार दलित महिलाओं के साथ ऊंची जाति के लोगों द्वारा बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही हैं. ... हरियाणा में जाति-आधारित यौन हिंसा के मामले सबसे ज़्यादा हैं. ऊंचे पदों पर आसीन अधिकतर लोग ऊंची जाति से ताल्लुक़ रखते हैं जिसकी वजह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 11, 2014 10:02 AM

भारत में दलितों के उत्पीड़न के खिलाफ़ आवाज़ें उठती रही हैं. मानवाधिकार संगठनों के अनुसार दलित महिलाओं के साथ ऊंची जाति के लोगों द्वारा बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही हैं.

हरियाणा में जाति-आधारित यौन हिंसा के मामले सबसे ज़्यादा हैं.

ऊंचे पदों पर आसीन अधिकतर लोग ऊंची जाति से ताल्लुक़ रखते हैं जिसकी वजह से दलितों को सुरक्षा और न्याय पाने में दिक़्क़ते आती हैं.

अन्याय के ख़िलाफ़ बुलंद की आवाज़

लेकिन एक पीड़ित लड़की इस अन्याय के ख़िलाफ़ लड़ रही है, न सिर्फ़ अपने लिए बल्कि दूसरों के लिए भी मानवाधिकार क़ानून नेटवर्क के साथ क़ानूनी प्रक्रियाओं का प्रशिक्षण ले रही है.

साथ ही वो बलात्कार पीड़ितों और उनके परिवार वालों को उचित कार्यवाई करने का परामर्श भी देती है.

बीबीसी संवाददाता लियना होसे ने पीड़ित महिला शबनम से बात की जिसके मुताबिक़ एक रात जब वो अपनी नानी के घर जा रही थी तब 12 लोगों ने उसका अपहरण कर उसके साथ बलात्कार किया और उसका वीडियो भी बनाया.

जब उसने अपने परिवार को कई दिनों बाद इस घटना की जानकारी दी तब उसके पिता ने ख़ुदकुशी कर ली जिसके बाद उसने उन लोगों के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज की और दोषियों को गिरफ़्तार करवाया जिनमें से चार को आजीवन कारावास की सज़ा हुई और बाक़ी आठ को बरी कर दिया गया.

वो बताती हैं कि जो लोग बरी हुए अब वो उसे परेशान कर रहे हैं जिसके कारण उसने एक बॉडीगार्ड भी रखा है.

जातिवाद हरियाणा में बुरी तरह से हावी है. यहां ऊंची जाति के लोगों के खेतों में दलित जाति के लोग काम करते हैं जिस कारण दलित वर्ग के लोग इनके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने में हिचकिचाते हैं.

पीड़ित बनी मिसाल

शबनम के परामर्श पर ही एक 13 वर्ष की बलात्कार पीड़ित के आरोपियों को भी गिरफ़्तार करवाया गया.

बीबीसी संवाददाता से पीड़ित लड़की के भाई ने बताया कि अगर शबनम न होती तो उनको न्याय नहीं मिलता.

उसने कहा कि उसकी बहन के साथ बलात्कार कर उसको पानी के एक टैंक में डाल दिया गया था जिसको पुलिस ने ख़ुदकुशी का मामला दर्ज किया लेकिन वो उस रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं थे क्योंकि फ़ोरेन्सिक जांच में मौत से पहले बलात्कार की पुष्टि हुई थी.

शबनम ने बीबीसी से बताया कि भारत में क़ानून तो हैं पर उनको पूरी लागू नहीं किया जाता.

वो कहती हैं, ”जब हम इस तरह की किसी घटना की शिकायत करते हैं तो पुलिस आरोपियों पर हल्के आरोप लगाकर उनके दोषों को छुपा लेती है, लेकिन हमारा काम इस प्रक्रिया में सुधार ला रहा है. बहुत से पीड़ित और उनके परिवार अब अपनी शिकायत दर्ज करवाने लगे हैं.”

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