अब किसी चूक की गुंजाइश नहीं बची

झारखंड में जैसे-जैसे मतदान की तिथि करीब आ रही है, प्रशासनिक तैयारियों में चूक के अजब-गजब नमूने सामने आ रहे हैं. राजधानी रांची में ही एक ताजा मामला सामने आया है, जहां झामुमो प्रत्याशी को चुनाव डय़ूटी पर लगा दिया गया है. डॉ अशोक नाग हटिया सीट से झामुमो के प्रत्याशी हैं और उन्हें बतौर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 22, 2014 12:05 AM

झारखंड में जैसे-जैसे मतदान की तिथि करीब आ रही है, प्रशासनिक तैयारियों में चूक के अजब-गजब नमूने सामने आ रहे हैं. राजधानी रांची में ही एक ताजा मामला सामने आया है, जहां झामुमो प्रत्याशी को चुनाव डय़ूटी पर लगा दिया गया है. डॉ अशोक नाग हटिया सीट से झामुमो के प्रत्याशी हैं और उन्हें बतौर मजिस्ट्रेट चुनाव डय़ूटी पर लगा दिया गया.

पेशे से शिक्षक डॉ नाग ने झामुमो की तरफ से परचा भरने से पहले रांची विश्वविद्यालय से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेकर जमा किया था. इसके बावजूद जिला प्रशासन ने उन्हें चुनाव डय़ूटी पर लगाने का आदेश दे दिया. दिलचस्प बात यह है कि लोकसभा चुनाव के दौरान भी प्रशासन ने यही लापरवाही करते हुए डॉ नाग को चुनाव डय़ूटी पर लगाने की चिट्ठी भेजी थी, हालांकि वह तब आजसू की तरफ से चुनाव लड़ रहे थे.

यही नहीं प्रशासन ने विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े अन्य शिक्षकों को भी चुनाव डय़ूटी पर लगा दिया है. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री अजरुन मुंडा के पीए और भाजपा नेता राजकुमार एवं भाजपा के ही डॉ श्रवण कुमार शामिल हैं. ये दोनों नेता एसएस मेमोरियल कॉलेज में शिक्षक हैं. इसी तरह कई अन्य राजनीतिक दलों के नेता और कार्यकर्ता भी चुनाव डय़ूटी में लगाये गये हैं. उधर, जिला प्रशासन का कहना है कि यह मानवीय चूक है जिसे सुधारा जा रहा है.

जो भी पदाधिकारी किसी राजनीतिक दल से जुड़ा होगा, उसे चुनाव डय़ूटी से हटा लिया जायेगा. यूनिवर्सिटी शिक्षक एक्ट में मिली छूट के तहत बहुत से लोग राजनीतिक दलों से जुड़े हैं. वहीं, चुनाव आयोग का नियम वैसे लोगों को चुनाव डय़ूटी करने से रोकता है, जो किसी पार्टी विशेष के लिए कार्य करते हैं. उधर, इस मामले में प्रशासन से जुड़े एक उच्च अधिकारी ने बताया कि यह मानवीय चूक है और इसके लिए चुनाव आयोग या जिला प्रशासन को भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता. अब कौन किस दल से जुड़ा है या चुनाव लड़ रहा है, प्रशासन को कोई सपना तो आता नहीं. हां, जब शिकायत मिलती है तो उसे दुरुस्त कर लिया जाता है. कुल मिला कर झारखंड में चुनाव प्रचार अपने चरम पर है और मतदान की तिथि भी करीब आ पहुंची है, ऐसे में प्रशासन को मुस्तैद रहना होगा कि अब किसी तरह की कोई चूक न होने पाये.

संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version