स्मृतिशेष : साहित्य नामवर का प्राथमिक स्वभाव था

उमड़ पड़ते नयन निर्धन 28 जुलाई, 1926-19 फरवरी, 2019 आधुनिक हिंदी आलोचना के पितामह नामवर सिंह नहीं रहे. अतुलनीय मेधा और विद्वता का स्तंभ माने जाने वाले नामवर सिंह की पकड़ संपूर्ण भारतीय साहित्य पर थी. वे प्रखर वक्ता थे और उनके चाहने वाले देश-दुिनया के व्यापक समाज से आते थे. नामवर जी का जीवन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 21, 2019 6:04 AM
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