सगुण तुलसी के भी राम हैं, निर्गुण कबीर के भी राम

प्रशांत त्रिवेदी : राम भारतीय मन में नायकत्व की चरम परिकल्पना हैं, सारी कलाओं का उद्गम स्थल भी रामकथा है. रामलीलाएं संस्कृति की जीवंत परंपरा हैं. भारत का कोई स्मृति बोध लीला बोध से मुक्त नहीं हो सकता. सगुण तुलसी के भी राम हैं, निर्गुण कबीर के भी राम. हर भाषा समुदाय के अपने-अपने राम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 7, 2019 1:34 AM
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प्रशांत त्रिवेदी : राम भारतीय मन में नायकत्व की चरम परिकल्पना हैं, सारी कलाओं का उद्गम स्थल भी रामकथा है. रामलीलाएं संस्कृति की जीवंत परंपरा हैं. भारत का कोई स्मृति बोध लीला बोध से मुक्त नहीं हो सकता. सगुण तुलसी के भी राम हैं, निर्गुण कबीर के भी राम. हर भाषा समुदाय के अपने-अपने राम हैं.

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