हाय गजब! कहीं तारा टूटा

प्रत्यक्षा पलथी मार कर बैठीं मुन्नी दीदी के चेहरे पर हंसी दौड़ रही थी. जैसे कोई छोटा बच्चा चभक कर उनके चेहरे पर आ बैठा हो. कोई किस्सा सुना रही थीं और उस किस्से के होने की याद में, बोलने के पहले ही उनका शरीर उस हंसी में बार-बार डोल जाता. मैं जरा मुस्कुराती, उस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 18, 2016 6:43 AM
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version