हाइलाइट
Paras Hospital Murder Case: पारस अस्पताल के अंदर घुसकर बक्सर के कुख्यात अपराधी चंदन मिश्रा को गोली मारने की घटना ने मंत्री बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड की याद ताजा कर दी है, बृजबिहारी प्रसाद की 13 जून, 1998 को आइजीआइएमएस परिसर में गोली मार कर हत्या कर दी थी. अपराधियों ने अस्पताल परिसर में घुस कर ताबड़तोड़ फायरिंग की थी और भाग गये थे.
बृजबिहारी प्रसाद की हत्या अस्पताल के अंदर की गयी पहली घटना थी. उसी प्रकार से पटना में दूसरी बार फिर से बदमाशों ने पारस अस्पताल के सुरक्षा घेरे को भेदते हुए चंदन मिश्रा के कमरे में घुस गये और हत्या करने के बाद आराम से पिस्टल लहराते हुए निकल गये. यह घटना आपसी विवाद में गैंगवार का परिणाम है. बृजबिहारी प्रसाद की हत्या भी आपसी विवाद में की गयी थी.
आइजीआईएमएस परिसर में टहल रहे थे बृजबिहारी
1998 में बृज बिहारी प्रसाद तत्कालीन राबड़ी सरकार में मंत्री थे. तत्कालीन राबड़ी सरकार में मंत्री थे. इसी बीच बह एश्शमिशन घोटले में गिरफ्तार कर लिये गये. लेकिन, तबीयत खराब होने के कारण उन्हें आइजीआइएमएस में भर्ती कराया गया. इस दौरान उनकी सुरक्षा में पुलिस भी थी. 13 जून, 1998 को बृज बिहारी प्रसाद आइजीआएमएस में सुरक्षाकर्मियों के साथ परिसर में टहल रहे थे, इसी बीच एक लाल बत्ती कार में यूपी का कुख्यात अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ला व अन्य परिसर में घुसे और एके47 से गोलियों से भून दिया जिससे उनकी मौत हो गयी. इस घटना की मौत हो गयी थी. इस हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट में मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा दी गई.
तत्कालीन राबड़ी सरकार में मंत्री बृज बिहार प्रसाद की मुजफ्फरपुर की राजनीति में छोटन शुक्ला एवं उनके समर्थकों के बीच अदावत चल रही थी. छोटन शुक्ला की हत्या के बाद बृज बिहारी प्रसाद को अपनी जान का खतरा था. मेघा घोटाले में आरोपी बन गये बृज बिहारी प्रसाद आइजीआइएमएस में इलाज के लिए भर्ती हुए थे. शाम छह बजे वे अपने काटेज से नियमित रूप से टहलने निकलते थे.
हत्या के दिन भी वे अपने सुरक्षा गार्ड के साथ टहल कर काटेज लौट रहे थे. इसी दौरान एक एंबेसेडर और एक सूमो गाड़ी से आये अपराधियों ने स्वलित राइफलों से उनके उपर गोलियों की बौछार कर दी. बृज बिहारी प्रसाद और उनके सुरक्षा गार्ड घटनास्थल पर ही मारे गये.सुरक्षा गार्ड लक्ष्मेश्वर साहु ने अंतिम समय तक बृज बिहारी प्रसाद को बचाने की कोशिश की,उसकी सरकारी रायफल से अंत तक गोलियां निकलती रही. हत्या को अंजाम देने के बाद अपराधी उसकी सरकारी रायफल भी लेते गये.
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शूटरों ने इतिहास दोहराया
चंदन मिश्रा मर्डर केस और बृजबिहारी हत्याकांड दोनों वारदातें अलग-अलग दौर की हैं. लेकिन दोनो ही घटनाओं में अपराधियों के हौसले, जगह और तरीका एक ही तरह का है. जैसे इतिहास ने खुद को दोहराया हो. बृजबिहारी हत्याकांड कोई आम वारदात नहीं थी 13 जून 1998 को राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की उस वक्त हत्या कर दी गई थी, जब वह आईजीआईएमएस परिसर में टहल रहे थे. घटना के वक्त उनके अंगरक्षक भी वहां मौजूद थे, इसके बावजूद उनको गोलियों से छलनी कर दिया गया. चंदन मिश्रा मर्डर केस ने लोगों के जेहन में एक पुरानी लगभग भूली जा चुकी लेकिन बेहद चर्चित घटना की याद ताज कर दी.
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