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Ashutosh Chaturvedi
मीडिया जगत में तीन दशकों से भी ज्यादा का अनुभव. भारत की हिंदी पत्रकारिता में अनुभवी और विशेषज्ञ पत्रकारों में गिनती. भारत ही नहीं विदेशों में भी काम करने का गहन अनुभव हासिल. मीडिया जगत के बड़े घरानों में प्रिंट के साथ इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता का अनुभव. इंडिया टुडे, संडे ऑब्जर्वर के साथ काम किया. बीबीसी हिंदी के साथ ऑनलाइन पत्रकारिता की. अमर उजाला, नोएडा में कार्यकारी संपादक रहे. प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के साथ एक दर्जन देशों की विदेश यात्राएं भी की हैं. संप्रति एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सदस्य हैं.
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Opinion
Budget 2024: युवाओं के रोजगार पर केंद्रित बजट
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक करोड़ युवाओं के लिए 500 कंपनियों में इंटर्नशिप की घोषणा की है.
Business
भारत का दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का मतलब सिर्फ एक आंकड़ा...
प्रभात खबर को साक्षात्कार: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी से 7-लोक कल्याण मार्ग, नयी दिल्ली स्थित अपने आवास पर लंबी बातचीत की. इस दौरान उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था और संपत्ति के पुनर्वितरण पर भी बेबाकी से अपनी बात रखी.
बिहार
बिहार में नीतीश जी के काम पर वोट मांग रहे राजद और इंडी गठबंधन:...
प्रभात खबर को साक्षात्कार: मेरा विश्वास है कि इस बार बिहार और झारखंड में भाजपा को सभी सीटों पर जीत हासिल होगी. दोनों राज्यों के लोग एक बात स्पष्ट रूप से समझ गये हैं कि इंडी गठबंधन में शामिल पार्टियों को जब भी मौका मिलेगा, तो वे भ्रष्टाचार ही करेंगे.
Prabhat Khabar Special
झारखंड में घुसपैठियों ने आदिवासी संस्कृति व बहनों-बेटियों की सुरक्षा को खतरे में डाल...
प्रभात खबर को साक्षात्कार: लोकसभा चुनाव के चार चरण पूरे हो चुके हैं. तीन चरण के चुनाव बाकी हैं. इनमें पश्चिम बंगाल की 42 में से 24 और झारखंड-बिहार की 54 में से 31 सीटें भी शामिल हैं. भाजपा ने इस बार ‘400 पार’ का लक्ष्य रखा है. इसे हासिल करने को लेकर वह प्रतिबद्ध है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी से 7-लोक कल्याण मार्ग, नयी दिल्ली स्थित अपने आवास पर लंबी बातचीत की. प्रस्तुत है साक्षात्कार का खास अंश.
Badi Khabar
पाकिस्तान में मुखौटा पीएम का चुनाव
पाकिस्तान में लोकतंत्र की जड़ें इतनी कमजोर हैं कि तीन-चार साल बाद इस पर कोई न कोई कुठाराघात हो जाता है. वहां का प्रधानमंत्री सबसे कमजोर कड़ी है. चाहे वह भारी जनादेश वाली नवाज शरीफ की सरकार हो अथवा साधारण बहुमत वाली इमरान खान सरकार, सेना को उसे गिराते देर नहीं लगती है.
Badi Khabar
बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुध लेय
बीती हुई बातों को पकड़ के बैठे रहने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है, भविष्य का चिंतन करें, उसे खुशहाल बनाने की योजना बनाएं. नये साल का आगाज नयी उम्मीदों के साथ हो. हर साल अनेक उतार चढ़ाव और खट्टे-मीठे अनुभव देकर जाता है. नये साल में उनसे सबक लें. हम पिछले साल की घटनाओं पर नजर डाल सकते हैं.
Opinion
क्या हमारा समाज हिंसक होता जा रहा है
टीवी की बहस हो अथवा संसद की चर्चा, वहां शाब्दिक हिंसा का चलन बढ़ा है. समाज में इसकी स्वीकार्यता भी बढ़ी है. जैसे हल्के शब्दों ने अब अपना प्रभाव खो दिया है. भारी भरकम शब्द ही अब प्रभावी होते नजर आ रहे हैं. यह भी सच है कि हिंसा का निशाना कमजोर तबके के लोग ज्यादा बनते हैं.
Opinion
गांवों से शहरों को पलायन की चुनौती
पहले हमारी 20 प्रतिशत आबादी शहरों में रहती थी, जबकि 80 फीसदी आबादी गांवों में थी. अब शहरी आबादी 30 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण इलाकों में 70 फीसदी लोग रह रहे हैं. जो तथ्य सामने हैं, उनके अनुसार गुजरात जैसे विकसित राज्य में 48 प्रतिशत शहरीकरण हो चुका है और 2035 तक यह 60 प्रतिशत को पार कर जायेगा.
Opinion
अलमारी के शीशों में बंद किताबें
साहित्य उत्सव के माध्यम से कोशिश हो रही है कि साहित्यकारों को एक स्थायी मंच मिल सके और पठन-पाठन को लेकर कुछ हलचल बढ़ सके. दिल्ली के एक ऐसे ही आयोजन का फलक तो इतना बड़ा हो गया है कि उसका आयोजन एक स्टेडियम में किया जाने लगा है और उसमें प्रवेश के लिए टिकट लगने लगा है.