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Ashutosh Chaturvedi

मीडिया जगत में तीन दशकों से भी ज्यादा का अनुभव. भारत की हिंदी पत्रकारिता में अनुभवी और विशेषज्ञ पत्रकारों में गिनती. भारत ही नहीं विदेशों में भी काम करने का गहन अनु‌भव हासिल. मीडिया जगत के बड़े घरानों में प्रिंट के साथ इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता का अनुभव. इंडिया टुडे, संडे ऑब्जर्वर के साथ काम किया. बीबीसी हिंदी के साथ ऑनलाइन पत्रकारिता की. अमर उजाला, नोएडा में कार्यकारी संपादक रहे. प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के साथ एक दर्जन देशों की विदेश यात्राएं भी की हैं. संप्रति एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सदस्य हैं.

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प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी काम आयी, पढ़ें चुनाव परिणाम पर यह खास लेख

2024 से पहले का हरेक विधानसभा चुनाव आपको लोकसभा चुनाव की ऊपरी सीढ़ी के नजदीक ले जाता है. भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक और सीढ़ी सफलतापूर्वक चढ़ गये हैं.

समाज में अहम है साहित्य की भूमिका

तकनीक ने अभिव्यक्ति का आयाम बदल दिया है. यह सर्वविदित है कि साहित्य में एक जीवन दर्शन होता है और यह सृजन का महत्वपूर्ण हिस्सा है. साहित्य की समाज में एक छोटी, मगर महत्वपूर्ण भूमिका है.

सड़क दुर्घटनाओं की अनदेखी करता समाज

ट्रैफिक नियमों की अनदेखी जैसे हमारे समाज में रची बसी है. रात में तो ट्रैफिक नियमों का कोई अर्थ ही नहीं रह जाता है. नाबालिगों का वाहन चलाना और उल्टी दिशा में वाहन चलाना एक आम बात है.

नारायण मूर्ति की सलाह पर उठते सवाल

मूर्ति ने कहा कि युवाओं को अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए अतिरिक्त काम करना चाहिए. उन्होंने भारत की तुलना चीन, जापान और जर्मनी से करते हुए कहा कि भारत की कार्य उत्पादकता दुनिया में सबसे कम उत्पादक देशों में से एक है.

नारी के प्रति सम्मान की चेतना की जरूरत

महिलाओं को जब भी मौका मिला है, उन्होंने कमाल कर दिखाया है, लेकिन देखने में आया है कि नवरात्र के दौरान उपजा आदर का यह भाव कुछ समय तक ही रहता है. महिला उत्पीड़न की घटनाएं बताती हैं कि हम जल्द ही इसे भुला देते हैं. यह अवधारणा अचानक प्रकट नहीं हुई है.

इस्राइल-फिलीस्तीन संघर्ष और भारत

प्रधानमंत्री मोदी पहले कार्यकाल में इस्राइल की यात्रा करना चाहते थे, लेकिन विदेश मंत्रालय मध्य पूर्व के देशों की प्रतिक्रिया को लेकर सशंकित था. काफी विमर्श के बाद यह तय हुआ कि तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पहले यात्रा करेंगे और इससे प्रतिक्रिया का अंदाजा लगेगा.

भारत के लिए जीत का सुनहरा मौका

हाल के एशिया कप को छोड़ दें, तो इस बात पर चिंतन की जरूरत है कि 2011 के बाद हम कोई बड़ा टूर्नामेंट क्यों नहीं जीत सके हैं. आज भारत के पास गेंदबाजी के कई विकल्प हैं. बल्लेबाजी में भी गहराई है. एक कमी मुझे टीम में श्रेष्ठ ऑल-राउंडरों की लगती है.

जन सरोकार की पत्रकारिता का सफर

जमशेदपुर शहर से प्रकाशित आधा दर्जन हिंदी दैनिकों की कुल प्रसार संख्या से दोगुना से अधिक प्रसार अकेले प्रभात खबर का है. यह पाठकों के स्नेह के कारण ही यह संभव हो पाया है.

शिक्षकों को भी बदलना होगा

देश के भविष्य निर्माता कहे जाने वाले शिक्षक का समाज ने भी सम्मान करना बंद कर दिया है. उन्हें समाज में दोयम दर्जे का स्थान दिया जाता है. आप गौर करें, तो पायेंगे कि टॉपर बच्चे पढ़ लिख कर डॉक्टर, इंजीनियर और प्रशासनिक अधिकारी तो बनना चाहते हैं, लेकिन कोई भी शिक्षक नहीं बनना चाहता है.
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