मैनुअल गियरबॉक्स का फंडा
मैनुअल ट्रांसमिशन वाली कारों में गियर लीवर दिया जाता है, जिसके नॉब पर ट्रांसमिशन अथवा गियर का पोजिशन बदलने के लिए 1,2,3 और 4 नंबर का संकेतक दिया जाता है. गियर बदलने के लिए कार चलाने वाले को क्लच दबाकर गाड़ी की स्पीड के हिसाब से गियर बदलना पड़ता है. यह सबसे पुराना सिस्टम है और इसे प्राय: गाड़ी चलाने वाले हर चालक प्रयोग करते हैं. मैनुअल ट्रांसमिशन में कार का गियर पूरी तरह चालक के नियंत्रण में रहता है.
कैसे काम करता है मैनुअल गियरबॉक्स
मैनुअल ट्रांसमिशन में चालक जब गियर बदलने के लिए चालक क्लच दबाता है, तो इंजन और ट्रांसमिशन एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं. ऐसा करने पर इंजन से गियर बॉक्स तक स्पीड का ट्रांसमिशन रुक जाता है और तभी चालक झट से गियर बदल लेता है. इसके अलावा, गियर बदलने के लिए चालक शिफ्ट लीवर को स्पीड के हिसाब से नंबर 1, 2 या जरूरत के अनुसार चेंज करता है. शिफ्ट लीवर की स्थिति गियर रेशियो को निर्धारित करती है, जो गाड़ी की स्पीड को कंट्रोल करता है. गियर बदलने के बाद चालक क्लच पैडल को धीरे से छोड़ता है. ऐसा करने के बाद इंजन और गियरबॉक्स दोबारा आपस में कनेक्ट हो जाते हैं और तब गाड़ी की स्पीड बढ़ती या घटती है.
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ऑटोमैटिक गियरबॉक्स क्या है
कारों में दिया जाने वाला गियरबॉक्स एक प्रकार का ट्रांसमिशन होता है. यह कई प्रकार का होता है. इसमें ऑटोमैटिक मैनुअल ट्रांसमिशन (एएमटी), ड्यूअल क्लच ट्रांसमिशन (डीसीटी), कंटिन्यूअस वेरिएबल ट्रांसमिशन (सीवीटी) और डायरेक्ट शिफ्ट गियरबॉक्स (डीएसजी) शामिल है. ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन वाली कारों में गियर बदलना आसान होता है. इसमें गियर बदलने का काम गाड़ी के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम द्वारा ऑटोमेटिक तरीके से किया जाता है. ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन में एक या अधिक गियर रेंज और कंट्रोल विकल्प होते हैं, जो विभिन्न स्पीड में गाड़ी चलाने में मदद करते हैं.
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