बी-पॉजिटिव: सफलता के लिए प्रतिभा के साथ मेहनत, त्याग और समर्पण जरूरी

हाल में एक खबर आयी कि विराट कोहली ने सॉफ्ट ड्रिंक्स कंपनी का विज्ञापन करने से मना कर दिया, जबकि इसके लिए उन्हें बड़ी राशि ऑफर की गयी थी. विराट कोहली ने कहा कि जब मैं खुद ही कोल्ड ड्रिंक्स नहीं पीता हूं, तो फिर मैं कैसे दूसरों को इसे पीने के लिए प्रेरित कर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 20, 2017 12:51 PM
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आज सिर्फ नौ साल में ही उनकी गिनती दुनिया के सबसे बेहतरीन बल्लेबाजों में की जाती है, लेकिन 2008 से 2012 के बीच शायद ही किसी को ऐसा लगा कि वो आज जिस चरम पर हैं, वहां तक पहुंचने की उनमें क्षमता है. वर्ष 2012 के बाद जिस तरीके से विराट ने अपने आप को बदला, वो सामान्य से असाधारण बनने की कहानी है, जो किसी भी इंसान के लिए प्रेरणादायी है.

वर्ष 2012 के आइपीएल में विराट बढ़िया प्रदर्शन नहीं कर सके थे. इसने उन्हें अंदर तक झकझोर कर रख दिया था. विराट ने एक इंटरव्यू में बताया कि असफल होने के बाद मैंने अपने आपको आइने में देखा तो लगा कि मुझमें पूरी तरह बदलाव की जरूरत है. मुझे पूर्व कोच डंकन फ्लेचर की बात याद आने लगी कि क्रिकेट शायद ऐसा पेशेवर खेल है, जिसमें सबसे कम पेशेवर लोग खेलते हैं. खिलाड़ियों की फिटनेस का स्तर अन्य खेलों की तुलना में काफी कम रहता है.उसके बाद विराट ने अपने खान-पान में संयम बरतना शुरू कर दिया, साथ ही फिजिकल ट्रेनिंग का स्तर काफी ऊंचा किया. वजन लगभग 12 किलोग्राम कम किया. इस कठिन मेहनत, संयम और समर्पण का विराट को काफी लाभ मिला. आज विराट दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी के रूप में शुमार किये जाते हैं.

हम सभी ने देखा है कि स्कूलों में एक क्लास में जो बच्चे पढ़ रहे हैं (पढ़ते थे), उनमें ज्यादातर का मानसिक स्तर एक जैसा ही होता है, तो फिर क्या कारण है कि आगे चल कर उनमें से कुछ बहुत बेहतर करते हैं और कुछ पीछे छूट जाते हैं या फिर कुछ बच्चे, जिनकी शुरुआती दौर में गिनती मेधावी विद्यार्थी के रूप में की जाती थी, वो भी वक्त के साथ काफी पीछे रह जाते हैं, जबकि प्रतिभा के लिहाज से उन्हें बहुत ही बेहतर करना चाहिए था. महान लोगों की ऑटोबायोग्राफी पढ़ें. शायद ही किसी ने कहा होगा कि शुरुआती दौर में ही उन्होंने ये आंकलन कर लिया था कि वो इस शिखर तक पहुंच जायेंगे या उनकी गिनती महान या लीजेंड के रूप में की जायेगी. शिखर पर पहुंचे इंसान के पूरे जीवनवृत्त को देखेंगे, तो पायेंगे कि उन्होंने बहुत ही छोटी शुरुआत की और वो समय के साथ अनवरत प्रयास करते-करते बड़े हो गये. उन्होंने जीवन में दो तरह के लक्ष्य निर्धारित किये. पहला लक्ष्य शार्ट टर्म था और दूसरा लॉन्ग टर्म. एक के बाद एक शार्ट टर्म लक्ष्य पूरा करते-करते उन्होंने बड़े लक्ष्य की प्राप्ति कर ली और उनकी गिनती लीजेंड के रूप में होने लगी.

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