Bihar News: ससुर की सीट पर थी बहू की अग्निपरीक्षा, बाबूबरही सीट पर राजद ने इस प्रत्याशी पर खेला था दांव

Bihar News: पिछले चुनाव में बिहार की बाबूबरही विधानसभा सीट पर टक्कर JDU और RJD के बीच रही. JDU की तरफ से मीना कामत को टिकट दिया गया, जो कपिलदेव कामत की बहू है. वहीं RJD ने उमाकांत यादव को मैदान में उतारा था. मीना कामत ने जीत दर्ज की थी.

By Ashish Jha | May 18, 2025 11:29 AM
feature

Bihar News: मधुबनी. मधुबनी जिले की बाबूबरही विधानसभा सीट सियासी गलियारे में चर्चित रही है. बाबूबरही क्षेत्र में यादव मतदाताओं की बहुलता है. ये हर बार हार-जीत में निर्णायक रहे हैं. दूसरे स्थान पर कोयरी समाज के वोटर हैं. हालांकि, स्थानीय मतदाता इस बार दो धड़ों में नजर आ रहे हैं. एक वर्ग जदयू और राजद में सीधी टक्कर देख रहा तो दूसरा दल जातीय फैक्टर को हावी बता रहा. पिछले चुनाव में बिहार की बाबूबरही विधानसभा सीट पर टक्कर JDU और RJD के बीच रही. JDU की तरफ से मीना कामत को टिकट दिया गया, जो कपिलदेव कामत की बहू है. वहीं RJD ने उमाकांत यादव को मैदान में उतारा था. मीना कामत ने जीत दर्ज की थी.

राजद के वोट बैंक में सेंधमारी

जातिगत समीकरण के आधार पर देखें तो जदयू को सीट बचाने के लिए राजद के वोट बैंक में सेंधमारी करनी होगी. रालोसपा ने यहां से कोयरी समाज के महेंद्र प्रसाद सिंह को उम्मीदवार बनाया है. इनके अलावा निर्दलीय राजकुमार सिंह व कीर्तन प्रसाद सिंह भी इसी समाज के हैं. ऐसे में इनके वोटों के बिखराव या गोलबंद, दोनों की गुंजाइश बनी रहेगी. जानकार बताते हैं कि किसी एक दल के पक्ष में इनके गोलबंद होने का लाभ उसे मिल सकता है, लेकिन बिखराव से जदयू और राजद, दोनों को नुकसान हो सकता है.

जदयू की मजबूत सीटों में से एक

इस सीट के अंतर्गत बाबूबरही प्रखंड की 20, लदनिया की 15 तथा खजौली की सात पंचायतें आती हैं. रिटायर्ड शिक्षक शिव कुमार मिश्र बताते हैं कि पिछले कई चुनावों में यहां जातीय समीकरण ही जीत-हार का आधार बनता रहा है. स्थानीय समस्याएं या मुद्दे गौण ही रहे हैं. 2015 के चुनाव में जदयू को लोजपा ने कड़ी टक्कर दी थी. हालांकि, वह जदयू, लोजपा और भाजपा के बदले हुए समीकरण का असर था. उस चुनाव में भाजपा-लोजपा के साथ थी. जदयू, राजद और कांग्रेस के साथ था. लोजपा के विनोद कुमार सिंह (41219) ने जदयू के कपिलदेव कामत (61486) को टक्कर दी थी. अबकी भाजपा-जदयू साथ हैं.

Also Read: Folk Band: मिथिला का ‘फोक बैंड’ रसनचौकी, इन पांच वाद्ययंत्रों पर कभी नहीं बजता शोक धुन

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version