Bachhwara Vidhan Sabha: बछवाड़ा में सीपीआई का बढ़ता जनाधार बीजेपी के लिए खतरे की घंटी, कांटे की टक्कर तय

Bachhwara Vidhan Sabha: बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र बेगूसराय जिले की एक ऐसी सीट है, जहां मतदाता लगातार बदलाव करते रहे हैं. किसी भी पार्टी को दोबारा मौका न देना यहां की राजनीतिक परंपरा बन गई है. 2025 का चुनाव इस लिहाज से बेहद दिलचस्प होगा कि क्या बीजेपी अपनी पिछली जीत दोहरा पाएगी.

By Paritosh Shahi | July 12, 2025 6:33 PM
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Bachhwara Vidhan Sabha: बिहार के बेगूसराय जिले में स्थित बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र अपने राजनीतिक उतार-चढ़ाव के लिए जाना जाता है. यह इलाका किसी एक पार्टी के प्रति वफादार नहीं रहा है. पिछले छह विधानसभा चुनावों की बात करें तो यहां किसी भी दल को लगातार दूसरी बार जीत नहीं मिली है. इससे यह स्पष्ट होता है कि यहां के मतदाता अब तक स्थायी राजनीतिक नेतृत्व की तलाश में हैं, जो उनके मुद्दों पर गंभीरता से काम करे.

बछवाड़ा सीट का इतिहास

बछवाड़ा सीट का गठन आज़ादी के बाद 1952 में हुआ था और तब से अब तक 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. इनमें कांग्रेस ने सबसे अधिक सात बार, वहीं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने पांच बार जीत दर्ज की है. इसके अतिरिक्त प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, राजद, भाजपा और एक निर्दलीय उम्मीदवार को भी एक-एक बार सफलता मिली है.

भाजपा को मिली शानदार जीत

2020 में भाजपा ने एक नई रणनीति अपनाते हुए अपने वरिष्ठ नेता और तत्कालीन बेगूसराय विधायक सुरेंद्र मेहता को बछवाड़ा से चुनाव लड़ाया. यह दांव सफल रहा और भाजपा ने पहली बार इस सीट पर  484 वोटों के अंतर से कब्जा जमाया. यह जीत खास इसलिए मानी गई क्योंकि सीपीआई उम्मीदवार अवधेश राय तीन बार इस सीट से विधायक रह चुके थे और यादव समुदाय से आते हैं, जिसकी आबादी यहां 25% से अधिक है. दिलचस्प बात यह है कि इससे पहले के 12 में से 11 चुनावों में यादव उम्मीदवार ही विजयी रहे थे.

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भौगोलिक दृष्टि और समीकरण

भौगोलिक दृष्टि से बछवाड़ा मिथिला क्षेत्र में आता है और गंगा नदी के नजदीक होने से इसकी खेती-किसानी आधारित अर्थव्यवस्था पर सीधा प्रभाव पड़ता है. यहां धान, गेहूं और मक्का जैसी फसलें प्रमुख रूप से उगाई जाती हैं. यह क्षेत्र बेगूसराय और समस्तीपुर की सीमा पर स्थित है.

2020 में यहां कुल 2,97,646 मतदाता पंजीकृत थे, जिनमें से 61% ने मतदान किया. अनुसूचित जाति की हिस्सेदारी 17.31% और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 9% थी. शहरी मतदाताओं की भागीदारी मात्र 1.2% होने से यह क्षेत्र पूरी तरह से ग्रामीण प्रभाव वाला है. 2024 तक मतदाता संख्या बढ़कर 313772 हो गई है.

बछवाड़ा की राजनीतिक स्थिति, जातीय समीकरण और हालिया घटनाक्रमों को देखते हुए 2025 का विधानसभा चुनाव यहां बेहद रोचक और संघर्षपूर्ण होने की उम्मीद है. भाजपा के लिए यह सीट दोबारा जीतना एक बड़ी चुनौती होगी, जहां न केवल जनाधार बनाए रखना है, बल्कि जनता की अपेक्षाओं पर भी खरा उतरना होगा.

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