Saharsa Vidhan Sabha Chunav 2025: बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी लवली हार गई थी चुनाव, BJP के पूर्व विधायक ने दी थी शिकस्त

Saharsa Vidhan Sabha Chunav 2025: लवली आनंद पूर्व सांसद और बिहार की राजनीति में एक चर्चित नाम रहे आनंद मोहन की पत्नी हैं. इसके बावजूद वह 2020 का विधानसभा चुनाव सहरसा से हार गई थी. हालांकि फिलहाल वह शिवहर से सांसद हैं.

By Prashant Tiwari | July 11, 2025 3:19 PM
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Saharsa Vidhan Sabha Chunav 2025: 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में सहरसा विधानसभा सीट पर काफी दिलचस्प मुकाबला हुआ था.  इस चुनाव में बार एनडीए ने अपनी सियासी पकड़ को मजबूत करते हुए राजद उम्मीदवार लवली आनंद को करारी शिकस्त दी थी. एनडीए के प्रत्याशी आलोक रंजन झा ने 103538 वोट हासिल कर महागठबंधन की ओर से मैदान में उतरीं लवली आनंद को 19679 मतों के अंतर से हराया था. लवली आनंद को 83859 वोट मिले. 

बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी हैं लवली 

लवली आनंद पूर्व सांसद और बिहार की राजनीति में एक चर्चित नाम रहे आनंद मोहन की पत्नी हैं. आनंद मोहन उस वक्त आईएएस जी. कृष्णैया हत्याकांड मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे थे. 90 के दशक में बिहार में राजपूत राजनीति के सबसे मजबूत चेहरों में गिने जाने वाले आनंद मोहन ने बिहार पीपुल्स पार्टी की स्थापना की थी. उसी पार्टी के बैनर तले लवली 1994 के वैशाली उपचुनाव में जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंची थी. हालांकि लवली अब जेडीयू में हैं और शिवहर से सांसद हैं वहीं, आनंद मोहन भी अब जेल से बाहर आ चुके हैं.  

बाढ़ और नबीनगर से विधायक रह चुकी हैं विधायक 

इसके बाद लवली आनंद बाढ़ और नबीनगर से विधायक भी बनीं. पिछला विधानसभा चुनाव उन्होंने हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के टिकट पर शिवहर से लड़ा था, जिसमें उन्हें महज 461 वोटों से हार का सामना करना पड़ा. 

BJP और राजद के बीच होता है मुख्य मुकाबला

2010 के परिसीमन के बाद से यह सीट लगातार भाजपा और राजद के बीच झूलती रही है. 2010 में भाजपा के आलोक रंजन जीते, 2015 में राजद के अरुण कुमार. लेकिन 2020 में भाजपा ने दोबारा इसे कब्जे में लिया. 

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सीट का रहा है लंबा इतिहास  

सहरसा विधानसभा सीट का एक लंबा सियासी इतिहास रहा है. यहां कांग्रेस का दबदबा एक समय में सबसे अधिक था  पार्टी के दिग्गज नेता रमेश झा ने इस सीट से चार बार कांग्रेस और एक बार पीएसपी के टिकट पर जीत हासिल की थी. वहीं, जनता दल और राजद से शंकर प्रसाद टेकरीवाल का भी लंबे समय तक प्रभाव रहा.

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