ओवैसी की दो टूक और रणनीति का संदेश
एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में ओवैसी ने दावा किया कि उनकी पार्टी चाहती है कि किसी भी हाल में बीजेपी सत्ता में न आये. लेकिन महागठबंधन में शामिल होने की उनकी तमाम कोशिशों को नजरअंदाज किया गया. ओवैसी ने आरोप लगाया कि RJD और कांग्रेस नहीं चाहते कि वंचित तबकों का नेतृत्व उभरे. अल्पसंख्यक समाज को ज्यादा नेतृत्व मिले. उन्होंने बिहार की जनता से AIMIM को मौका देने की अपील करते हुए यह भी याद दिलाया कि 2020 में सीमांचल की 5 सीटों पर जीत हासिल की गई थी. हालांकि बाद में AIMIM के चार विधायक RJD में शामिल हो गए थे.
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थर्ड फ्रंट की तैयारी
महागठबंधन में एंट्री ना मिलने के बाद बिहार AIMIM अध्यक्ष अख्तरुल ईमान तीसरा मोर्चे की तैयार कर रहे हैं. यह मोर्चा बिहार के सीमांचल क्षेत्र पर फोकस करेगा. इस इलाके में 24 सीट है. पार्टी ने पहले RJD से गठबंधन की इच्छा जताई थी लेकिन कोई जवाब नहीं मिलने के बाद अब AIMIM छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का मन बना रही है. सीमांचल की मुस्लिम बहुल सीटों पर AIMIM के सक्रिय होने से राजद के MY समीकरण को सीधी चुनौती मिल सकती है. इसका सीधा लाभ एनडीए को मिल सकता है.
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महागठबंधन को झटका मिल सकता है
ओवैसी के इस कदम से बिहार की सियासी जमीन से महागठबंधन के पैरों तले खिसक सकती है. सीमांचल की 24 सीटों पर मुस्लिम वोटों का बंटवारा महागठबंधन की हार का कारण बन सकता है. ओवैसी की पार्टी के लिए यह काम आसान नहीं होने वाला है. इस इलाके में बेहद कम समय में पार्टी को अपना संगठन मजबूत करना होगा और सही उम्मीदवार का चयन करना होगा. इसके बाद ही बिहार की राजनीति में फिर से AIMIM अपना पहचान बना पाएगी.