Bihar Election 2025: चुनाव आयोग ने मतदाता सूची की पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर बड़ा कदम उठाया है. आयोग ने रविवार को स्पष्ट किया कि अब बिना नोटिस दिए किसी भी मतदाता का नाम प्रारूप मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा. मतदाता का नाम काटने से पहले निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी (ईआरओ) या सहायक निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी (एईआरओ) को संबंधित व्यक्ति को नोटिस देना और सूचना देना अनिवार्य होगा.
स्वयंसेवकों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
अगर कोई मतदाता ईआरओ के निर्णय से असहमत होता है, तो वह पहले जिला मजिस्ट्रेट और फिर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के पास अपील कर सकता है. इसके लिए आयोग ने मानक प्रारूप तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और अपील दायर करने की सुविधा को व्यापक रूप से प्रचारित करने की तैयारी है. साथ ही, लोगों को अपील प्रक्रिया में मदद करने के लिए स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
आयोग ने SIR के तहत 10 प्रमुख उद्देश्यों को स्पष्ट किया
चुनाव आयोग के सहायक निदेशक अपूर्व कुमार सिंह ने रविवार को बताया कि इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी योग्य मतदाता बिना उचित सूचना और प्रक्रिया के सूची से बाहर न हो. आयोग ने एसआईआर (स्पेशल समरी रिवीजन) के तहत 10 प्रमुख उद्देश्यों को स्पष्ट किया है, जिसमें मतदाताओं की भागीदारी को लेकर सकारात्मक संकेत मिले हैं.
7.24 करोड़ से अधिक लोगों ने जमा किया अपना गणना फॉर्म
आयोग के अनुसार, देशभर में कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ से अधिक ने अपना गणना फॉर्म जमा कर दिया है. यह उच्च भागीदारी लोकतांत्रिक जागरूकता और चुनावी प्रक्रिया में लोगों की रुचि को दर्शाता है.
हालांकि, आयोग ने यह भी बताया कि लगभग 36 लाख मतदाता बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) को नहीं मिले और उनके फॉर्म भी वापस नहीं आए. इनमें से कुछ मतदाता संभवतः अन्य राज्यों में नामांकन करा चुके हैं या समयसीमा (25 जुलाई) तक फॉर्म नहीं भर सके.
1 अगस्त को आएगी प्रारूप सूची
आयोग ने बताया कि 1 अगस्त को प्रारूप मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी. यह सूची प्रत्येक मतदान केंद्र की छपी हुई और डिजिटल प्रति के रूप में उपलब्ध होगी, जिसे सभी 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को दिया जाएगा. साथ ही यह आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर भी देखी जा सकेगी.
1 अगस्त से 1 सितंबर तक चलेंगी आपत्तियां और सुधार
चुनाव आयोग के मुताबिक, पात्र व्यक्ति 1 अगस्त से 1 सितंबर तक अपने नाम जुड़वाने का आवेदन दे सकेंगे. वहीं, राजनीतिक दल या व्यक्ति अपात्र नामों को सूची से हटाने के लिए आपत्ति दर्ज करा सकते हैं.
इस पूरी प्रक्रिया का मकसद मतदाता सूची को अद्यतन, पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाना है ताकि आने वाले चुनावों में किसी भी योग्य मतदाता को मतदान से वंचित न रहना पड़े. आयोग के इस निर्णय को चुनावी सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.
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