बिहार चुनाव से पहले RJD के पोस्ट ने बढ़ाई सियासी गर्मी, फेसबुक पर लिखा ‘हर कीमत पर चाहिए भाजपा-नीतीश सरकार!’

Bihar Election 2025: बिहार चुनावी संग्राम में सोशल मीडिया बना नया रणक्षेत्र. RJD के फेसबुक पोस्ट ने सियासी हलचल मचा दी. RJD ने लिखा 'बिहार की दरकार, हर कीमत पर चाहिए भाजपा-नीतीश सरकार.' BJP ने तुरंत लपका मौका, पोस्ट की एडिट हिस्ट्री को बना दिया हथियार.

By Anshuman Parashar | July 20, 2025 6:36 PM
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Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सोशल मीडिया सियासत का बड़ा अखाड़ा बन चुका है. इसी बीच रविवार को RJD के आधिकारिक फेसबुक पेज पर एक पोस्ट ने बवाल खड़ा कर दिया. सुबह 11:02 बजे पोस्ट हुए एक संदेश में लिखा गया ‘मजाक बनकर रह गया है बिहार! क्योंकि 20 सालों से यहां है निकम्मी NDA सरकार ! बिहार की दरकार हर कीमत पर चाहिए केवल भाजपा नीतीश सरकार’ यह लाइन देखते ही सोशल मीडिया पर हलचल मच गई क्योंकि इसमें खुद राजद यह स्वीकार करता दिखा कि बिहार को भाजपा-नीतीश सरकार की ही जरूरत है.

RJD ने पोस्ट को किया एडिट, लेकिन देर हो चुकी थी

करीब 56 मिनट बाद यानी 11:58 बजे पोस्ट को एडिट किया गया, लेकिन गड़बड़ी पूरी तरह ठीक नहीं हुई. इसके बाद दोपहर 12 बजे फिर से पोस्ट में संशोधन कर लिखा गया ‘बिहार की दरकार हर कीमत पर चाहिए केवल महागठबंधन की तेजस्वी सरकार,’ हालांकि तब तक भाजपा ने एडिट हिस्ट्री के स्क्रीनशॉट ले लिए थे और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया.

नीरज कुमार का हमला- ‘सच जुबां पर आ ही जाता है’

BJP के प्रवक्ता और नेता नीरज कुमार ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर तंज कसा. उन्होंने कहा ‘अब तो खुद राजद भी मानने लगा है कि बिहार को भाजपा-नीतीश की सरकार की ही जरूरत है. सच जुबां पर आ ही जाता है.’

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राजद ने बिहार को जंगलराज में धकेला था, जिसे मौजूदा सरकार ने बाहर निकालकर विकास की राह पर डाला है. अब जनता भी यही चाहती है कि राज्य को स्थिर, विकासोन्मुख और जवाबदेह सरकार ही मिलती रहे.

आईटी सेल से चूक या तकनीकी गलती? विपक्ष में मचा मंथन

हालांकि RJD के आईटी सेल ने इस गलती को जल्द सुधार दिया, लेकिन जिस तेज़ी से स्क्रीनशॉट वायरल हुए, उसने विपक्ष को सफाई देने पर मजबूर कर दिया. अंदरखाने चर्चा है कि इस गलती ने पार्टी की डिजिटल रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

चुनावी मौसम में सोशल मीडिया बना सबसे बड़ा रणक्षेत्र

यह घटना बताती है कि चुनावी मौसम में सोशल मीडिया पोस्ट की एक लाइन भी बड़ा मुद्दा बन सकती है. राजनीतिक दलों के लिए अब एक शब्द की चूक भी विपक्ष के लिए हथियार बन रही है. आने वाले दिनों में ऐसी घटनाओं में और तेज़ी देखी जा सकती है.

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