Bihar Election: बिहार में मचा चुनावी घमासान, अपनों के तीर से घायल हो रहे दल

Bihar Election: ओवैसी की पार्टी ने राजद सुप्रीमों को पत लिख कर महागठबंधन  में दल को शामिल करने का अनुरोध किया था. लेकिन राजद की ओर से कोई जवाब नहीं आने से पार्टी नाराज है.

By Manoj Kumar | July 16, 2025 6:33 AM
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Bihar Election: पटना. गठबंधनों में सीटों की गांठ पर लगी गिरह अभी खुली नहीं है. गुणा-गणित का खेल जारी है. इस बीच एनडीए के लिए रालोमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने एक फॉर्मूला सामने रख दिया है. कुशवाहा के इस फॉर्मूले पर अमल हुआ तो लोजपा,रामविलास को 20 से 21, रालोमो को 11 से 12 और हम पार्टी को 10 से 11 सीटें मिलेंगी. उपेंद्र कुशवाहा का प्रस्ताव है कि अगर भाजपा और जदयू सौ-सौ सीटों पर चुनाव लड़ती है तो शेष बची 43 सीटों पर 2015 के विधानसभा चुनाव में मिली सीटों के अनुपात में टिकट बांट दिया जाये. 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू अलग-अलग थे. एनडीए में भाजपा, हम, रालोसपा और लोजपा शामिल थे. भाजपा 160 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. लोजपा 40, रालोसपा 23 और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा 20 सीटों पर चुनाव लड़ी थी.

83 में 48 फीसदी सीटों पर लड़ी थी लोजपा

वर्ष 2015 में लोजपा को कुल 83 में 48 फीसदी सीटें दी गयी थीं, जबकि रालोसपा को 28 और हम पार्टी को 24 फीसदी सीटें दी गयी थीं. यही फॉर्मूला उपेंद्र कुशवाहा ने लागू करने का सुझाव दिया है. इस फॉर्मूले को भाजपा और जदयू के सौ-सौ सीटों पर लड़ने के बाद शेष बची 43 सीटों पर लागू किया जायेगा तो लोजपा को 21 सीटें मिलेंगी. जबकि रालोमो को 12 और हम को 10 सीट मिल जायेगा.

सीटों के बंटवारे की पेंचीदगी पर सुझाया फॉर्मूला

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि मुझे नहीं मालूम कि भाजपा और जदयू कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. लेकिन, चर्चा में आयी बातों के अनुसार, अगर बराबर-बराबर (सौ-सौ) सीटों पर दोनों पार्टियां लड़ती हैं तो, सीटों का बंटवारा 2015 के चुनाव के फॉर्मूले पर हो सकता है. कहा है कि हम सीधे कोई फॉर्मूला नहीं बता रहे हैं. इस तरह से रास्ता निकल जायेगा.

इस फॉर्मूले से एनडीए को मिलेगी जीत

रालोमो के प्रदेश प्रवक्ता रामपुकार सिन्हा ने कहा है कि हमारी पार्टी के नेता उपेंद्र कुशवाहा ने सीट शेयरिंग का फॉर्मूला सुझाव के तौर पर दिया है. इस फॉर्मूले से विधानसभा चुनाव में एनडीए को जीत मिल सकती है.

अर्जुन बनना पड़ता है सीखने के लिए

एनडीए के भीतर राजनीतिक बयानबाजी मंगलवार को भी जारी रही. इसी कड़ी में जदयू के मुख्य प्रवक्ता व विधान पार्षद नीरज कुमार के एक सोशल मीडिया पर लिखा ”अभिमन्यु बनना आसान है, अर्जुन बनना पड़ता है सीखने के लिए. भूलना नहीं चाहिए – अभिमन्यु सिर्फ प्रवेश करता है, वीरगति भी पाता है. इतिहास में नाम जिद से नहीं, कार्य से लिखा जाता है. जो हर बार द्वार तक पहुंचते हैं, वे योद्धा नहीं, द्वारपाल बन जाते हैं. एक दिन पहले लोजपा रामविलास के सांसद अरुण भारती ने पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की पार्टी हम के संदर्भ में अभिमन्यु समेत महाभारत के पात्रों की चर्चा की थी.

गठबंधन के 243 प्रत्याशियों को अपना प्रत्याशी समझें

दूसरी ओर अपने बयानों से चर्चित रहे केंद्रीय मंत्री और एनडीए के घटक दल लोजपा,रामविलास के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि एनडीए इस बार के चुनाव में 225 से अधिक सीटों के लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं.अ यह तभी संभव हैं जब सभी सहयोगी दल,गठबंधन के 243 प्रत्याशियों को अपना प्रत्याशी समझें. उन्होंने सभी सीटों पर अपने चुनाव लड़ने की अवधारणा को साफ करते हुए कहा वो इसी कारण से सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं. चिराग ने कहा कि राजनीति में वे बिहार और बिहारियों के हित के लिए आये हैं.दिल्ली में रहकर यह संभव नहीं है .चिराग ने एनडीए से अलग होने की बात को सिरे नकारा और कहा कि एनडीए के अंदर रहकर ही मेरी पार्टी चुनाव लड़ेगी.

महागठबंधन पर बरसे ओवैसी

महागठबंधन में शामिल होने के अनुरोध पर कोई जवाब नहीं मिलने से खफा ओवैसी की पार्टी बिहार में अकेले चुनाव मैदान में उतरेगी. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि एकतरफा मुहब्बत नहीं चलने वाला. हमने महागठबंधन में शामिल होने के लिए राजद के पास अनुरोध पत्र भेजा था. लेकिन, उधर से कोई जवाब नहीं आया. अब उनकी पार्टी में बिहार में चुनाव मैदान में जायेगी. सीमांचल की सीटों पर पार्टी का फोकस होगा. ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के बिहार प्रमुख अख्तारूल इमान ने कहा कि हम थर्ड फ्रंट बनाने की कोशिश करेंगे. इसके पहले ओवैसी ने साफ कर दिया कि उनकी पार्टी आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का हिस्सा नहीं होगी.ओवैसी ने मीडिया से कहा कि बिहार के लोगों को यह समझना चाहिए कि हम पर भाजपा से साठगांठ के आरोप झूठे थे. महागठबंधन के नेता नहीं चाहते कि गरीब और उत्पीड़ित वर्ग का कोई नेता उभरे. वे बस ऐसे गुलाम चाहते हैं जो सिर झुकाकर उनके पीछे चलें.

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