Bihar Election: पटना में SIR के खिलाफ सड़कों पर उतरेगा महागठबंधन, 9 जुलाई को राहुल गांधी के नेतृत्व में होगा चक्का जाम

Bihar Election: महागठबंधन इसे जनाधिकार का मुद्दा बना रहा है, जबकि सत्ताधारी एनडीए इसे राजनीतिक नौटंकी करार बता रही है. ऐसी संभावना जतायी जा रही है कि राहुल गांधी की अगुआई में राजभवन मार्च हो सकता है. महागठबंधन के नेता राज्यपाल को ज्ञापन सौंप सकते हैं. कांग्रेस और RJD कार्यकर्ताओं के बड़े समूह के शामिल होने की संभावना जतायी जा रही है.

By Ashish Jha | July 7, 2025 6:47 AM
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Bihar Election : पटना. बिहार की राजधानी पटना एक बार फिर सियासी हलचल का केंद्र बनने जा रही है. विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) के खिलाफ महागठबंधन ने 9 जुलाई को चक्का जाम का एलान किया है. इस आंदोलन का नेतृत्व कांग्रेस सांसद राहुल गांधी करेंगे, जो इसी दिन पटना पहुंच रहे हैं. पिछले 5 महीने में राहुल गांधी का यह सातवां बिहार दौरा होगा. महागठबंधन के सभी घटक दल मतदाता सूची सत्यापन प्रक्रिया को पक्षपातपूर्ण और जनविरोधी बता रहे हैं. कांग्रेस का कहना है कि गरीब, प्रवासी और वंचित तबकों के मताधिकार पर यह सीधा हमला है. 9 जुलाई को पटना की सड़कों पर जनता अपना विरोध दर्ज कराएगी. पटना प्रशासन इस आंदोलन को लेकर सतर्क हो गया है. शहर के सभी थानों को अतिरिक्त बल और ट्रैफिक प्लान तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं.

राजद और वाम दल होंगे शामिल

जानकारी के अनुसार, राहुल गांधी वोटर लिस्ट अपडेशन को लेकर प्रक्रिया को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ विपक्ष की रणनीति को धार देंगे. चक्का जाम के दौरान पटना के सभी प्रमुख मार्गों और चौराहों पर यातायात ठप रहने की संभावना है. कांग्रेस पार्टी ने औपचारिक रूप से इस आंदोलन में भागीदारी की पुष्टि की है. राजद और वाम दलों ने भी चक्का जाम में शामिल होने की घोषणा की है. राहुल गांधी का यह लगातार सातवां बिहार दौरा है. इससे पहले वे जातीय जनगणना, छात्र आंदोलन, और महागठबंधन की रणनीति बैठक में भाग लेने आ चुके हैं. अब वे SIR के खिलाफ विपक्ष के ‘जन आंदोलन’ को नेतृत्व देने जा रहे हैं. कांग्रेस ने कहा कि यह चक्का जाम केवल बिहार नहीं, लोकतंत्र की आत्मा की रक्षा का आंदोलन है.

क्या है विवादित SIR प्रक्रिया

चुनाव आयोग द्वारा बिहार में 24 जून से विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत मतदाताओं को फॉर्म भरना अनिवार्य किया गया है. केवल 11 विशेष दस्तावेजों को ही पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जा रहा है. विपक्ष का आरोप है कि इससे प्रवासी, दलित, महादलित और गरीब तबके अपने वोट से वंचित हो सकते हैं. इसबीच, विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण के खिलाफ राष्ट्रीय जनता दल ने भारत निर्वाचन आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. राजद की ओर से यह याचिका राज्यसभा सांसद मनोज झा की तरफ से दायर की गई है. पहले महागठबंधन के नेताओं ने बिहार निर्वाचन आयोग से मिलकर मतदाता सूची सुधार प्रक्रिया पर रोक की मांग की थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंच गया है.

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