इन नेताओं को चाहिए बच्चों के लिए सीट, बड़े दल के बदले छोटे दलों में कर रहे गोटियां फिट

Bihar Election: कई दलों के नेताओं की निगाहें जीतनराम मांझी की पार्टी हम, चिराग पासवान की पार्टी लोजपा आर, उपेंद्र कुशवाहा के रालोमो के साथ महागठबंधन में शामिल मुकेश सहनी की पार्टी वीआइपी को मिलने वाली सीटों पर हैं.

By Manoj Kumar | July 13, 2025 12:49 PM
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Bihar Election: पटना. बिहार विधानसभा चुनाव की आहट से कई मोर्चे खुल गये हैं. जारी वोटर पुनरीक्षण को लेकर अलग सियासी उबाल है. नेताओं के दौरे हो रहे हैं. अंदरखाने में सीटों को लेकर राजनीतिक दल एक्सरसाइज शुरू कर चुके हैं. गठबंधन दलों के नेताओं ने अपने-अपने गठबंधन के सीनियर साथी के सामने सीटों की संख्या दबी जुबान से जाहिर कर दी है. इन तमाम सियासी कवायदों के साथ राजनीतिक गलियारों में इससे अलग भी खिचड़ी पक रही है. सियासत में जगह बना चुके नेता अपने वारिसों, बेटा-बेटियों और परिवारों को भी विधायक बनाने का जुगाड़ लगा रहे हैं. अपने दल से मामला फिट हुआ तो ठीक, नहीं तो उनकी निगाहें दूसरे दलों पर भी टिकी हुई है. इसमें वर्तमान सांसद से लेकर पूर्व सांसद के साथ-साथ बिहार सरकार के मंत्री भी सेटिंग में जुटे हुए हैं. भाजपा और जदयू के नेताओं की लिस्ट इस फेहरिस्त में अधिक बतायी जा रही है. इन दोनों दलों के नेताओं की सबसे अधिक निगाहें लोजपा को मिलने वाली सीटों पर है.

अपने दल में नहीं गली दाल तो, बैठायेंगे दूसरों की डाल

अपने दलों में दाल नहीं गलने पर उनका पहला टारगेट अपने गठबंधन में शामिल दूसरे दलों से टिकट दिलवाना है. जानकारों का कहना है कि कई दलों के नेताओं की निगाहें जीतनराम मांझी की पार्टी हम, चिराग पासवान की पार्टी लोजपा आर, उपेंद्र कुशवाहा के रालोमो के साथ महागठबंधन में शामिल मुकेश सहनी की पार्टी वीआइपी को मिलने वाली सीटों पर हैं. जानकारों का यह भी कहना है कि भाजपा और जदयू के कई नेता इसे अमलीजामा पहनाने में जुटे हैं. भाजपा और जदयू के एक-दो नेताओं ने सार्वजनिक रूप से इसका खंडन भी किया है. खंडन को संकेत की नजर से भी देखा गया. एक चर्चा यह भी है कि भाजपा के एक पूर्व सांसद खुद विधानसभा चुनाव लड़ने की फिराक में हैं. उनके बेटे किसी और दल से चुनाव लड़ सकते हैं.

मंत्री अशोक चौधरी की बेटी भी मैदान में

लोकसभा चुनाव 2024 में इसकी झलक देखने को मिल चुकी है. बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी लोजपा से उम्मीदवार थीं. बिहार सरकार के ही मंत्री महेश्वर हजारी के बेटे सन्नी हजारी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे. अशोक चौधरी की बेटी तो फिर भी एनडीए के गठबंधन दल से ही चुनाव लड़ी थीं. लेकिन, महेश्वर हजारी के बेटे विपक्ष की पार्टी कांग्रेस से उम्मीदवार थे. समस्तीपुर में दोनों के बीच लड़ाई हुई थी. इसमें शांभवी चौधरी की जीत हुई थी. तब दोनों की उम्मीदवारी को लेकर सियासी बवाल मचा था. शांभवी चौधरी को लेकर अभी भी बयानबाजियों का दौर जारी है.

संतोष सिंह के भाई ने थामा है उपेंद्र कुशवाहा का दामन

विधानसभा सीटों की सेटिंग अलग-अलग रूपों में हो रही है. अभी हाल ही में जदयू नेता व बिहार सरकार के मंत्री संतोष सिंह के भाई आलोक कुमार सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोमो का दामन थामा है. जदयू से टिकट नहीं मिलने की संभावनाओं को देखते हुए उन्होंने ये कदम उठाया है. अगर आलोक कुमार सिंह रालामो से चुनाव लड़ते हैं तो, इस कड़ी में उनका नाम भी जुड़ जायेगा कि भाई किसी और दल से मंत्री और वे किसी और दल से चुनाव लड़ेंगे.

पूर्व विधायक गुलाब यादव की बेटी वीआइपी में हुई शामिल

पूर्व राजद विधायक गुलाब यादव की बेटी बिंदु गुलाब यादव हाल ही में वीआइपी में शामिल हुई है. उम्मीद की जारही है वो झंझारपुर विधानसभा सीट से वीआइपी की टिकट पर महागठबंधन की उम्मीदवार होंगी.

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