क्या है पूरा मामला?
शिकायत के अनुसार, 26 जुलाई को विधायक भाई वीरेंद्र ने बलुआं पंचायत के सचिव संदीप कुमार को फोन किया था. संदीप के पास राय पंचायत का अतिरिक्त प्रभार भी है. वायरल ऑडियो में विधायक खुद को ‘भाई वीरेंद्र’ बताते हैं और जब सचिव पहचान नहीं पाते, तो वह नाराज़ होते हुए कहते हैं कि “भाई वीरेंद्र नाम ही काफी है.” इसके बाद कथित तौर पर सचिव को फटकार लगाते हैं और काम में लापरवाही को लेकर सवाल उठाते हैं.
विधायक ने दी सफाई: “धमकी नहीं दी, बस जनता का काम कहा”
इस पूरे विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि वह हमेशा जनता के काम के लिए अधिकारियों से बात करते हैं. “मुझे पीड़ित परिवार ने बताया कि पंचायत सचिव पैसा मांग रहे हैं और काम नहीं कर रहे. मैंने बस यह पूछा कि मृत्यु प्रमाण पत्र क्यों नहीं बनाया जा रहा. क्या जनता की मदद करना गलत है?” उन्होंने दावा किया कि सचिव को पहले ही बीडीओ द्वारा शोकॉज किया गया था.
राजनीतिक साजिश का आरोप
भाई वीरेंद्र ने इस केस को सरकार प्रायोजित बदनाम करने की साजिश बताया. उन्होंने कहा, “कुछ लोग सरकार के इशारे पर मुझे जेल भिजवाने और चुनाव से बाहर करने की साजिश रच रहे हैं. लेकिन मैं डरने वाला आदमी नहीं हूं. हमने कोई धमकी नहीं दी, ऑडियो में कहीं कोई आपत्तिजनक शब्द नहीं है. जरूरत पड़ी तो कानूनी लड़ाई भी लड़ेंगे.”
क्या कहता है पंचायत सचिव का पक्ष
पंचायत सचिव संदीप कुमार का कहना है कि विधायक ने फोन पर पद का रौब दिखाया और जातिसूचक टिप्पणी भी की. इसे लेकर उन्होंने एससी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज करवाया है. उन्होंने कहा कि वह अपनी ड्यूटी कर रहे थे और विधायक का यह व्यवहार अपमानजनक और डराने वाला था.
जांच के बाद तय होगी अगली कार्रवाई
विवाद ने अब कानूनी शक्ल अख्तियार कर लिया है और मामला जांच के अधीन है. राजद विधायक के खिलाफ दर्ज केस से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. देखना होगा कि यह मामला राजनीतिक तूल पकड़ता है या जांच के बाद स्थिति साफ होती है. फिलहाल भाई वीरेंद्र खुद को निर्दोष बताते हुए पूरे मामले को साजिश बता रहे हैं.
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