क्या है राजनीतिक इतिहास ?
2000 के बाद चेनारी विधानसभा सीट पर राजद और जदयू के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिला. 2010 में जदयू ने विकास और सुशासन के एजेंडे के साथ जीत दर्ज की, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद के मुरारी प्रसाद गौतम ने इस सीट पर वापसी की और भाजपा-जदयू गठबंधन के प्रत्याशी को हराया. इस जीत को महागठबंधन के मजबूत होते जनाधार और राजद की रणनीतिक वापसी के रूप में देखा गया.
क्या है मौजूदा हालात ?
वर्तमान राजनीतिक हालात की बात करें तो 2025 के चुनाव को लेकर चेनारी एक बार फिर हॉट सीट बन गई है. मौजूदा विधायक मुरारी प्रसाद गौतम की दलित और पिछड़े वर्गों में अच्छी पकड़ मानी जाती है, जिससे राजद की स्थिति मजबूत दिख रही है. दूसरी ओर भाजपा और जदयू का गठबंधन केंद्र सरकार की योजनाओं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के सहारे सीट को पुनः हासिल करने की कोशिश में है. चेनारी में जातीय समीकरण काफी अहम भूमिका निभाते हैं—अनुसूचित जातियों के साथ-साथ यादव, कुशवाहा, मुस्लिम और ब्राह्मण वोटरों की भूमिका निर्णायक होती है.
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क्या हैं प्रमुख मुद्दे ?
स्थानीय स्तर पर सड़कों की खराब स्थिति, रोजगार की कमी, खेती में गिरावट और लगातार पलायन जैसे मुद्दे मतदाताओं के लिए प्रमुख हैं. ऐसे में जो भी दल या उम्मीदवार इन स्थानीय समस्याओं को लेकर ठोस रणनीति के साथ आगे आएगा, उसे लाभ मिल सकता है. कुल मिलाकर, 2025 में चेनारी में मुख्य मुकाबला राजद बनाम भाजपा-जदयू गठबंधन के बीच होगा और अगर महागठबंधन एकजुट रहा, तो राजद की स्थिति फिलहाल मजबूत मानी जा रही है.