Cheria-Bariarpur Vidhan Sabha: चेरिया-बरियारपुर में फिर बदलेगा सत्ता का समीकरण? 2024 लोकसभा में NDA को मिली थी बढ़त

Cheria-Bariarpur Vidhan Sabha: चेरिया-बरियारपुर विधानसभा सीट 2025 के बिहार चुनाव में एक बार फिर सियासी संघर्ष का केंद्र बनने जा रही है. राजद की मजबूत वापसी और एनडीए की चुनौतीपूर्ण रणनीति के बीच मुकाबला कड़ा होगा. जातीय समीकरण, विकास के वादे और गठबंधन की राजनीति इस सीट के नतीजे तय करेंगे.

By Paritosh Shahi | July 12, 2025 5:09 PM
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Cheria-Bariarpur Vidhan Sabha: बिहार के बेगूसराय जिले में स्थित चेरिया-बरियारपुर प्रखंड एक प्रमुख ग्रामीण इलाका है. इसका क्षेत्र हर साल बाढ़ से प्रभावित होता है. बुढ़ी गंडक, करेह और बागमती नदियों के उफान से जलभराव आम बात है, लेकिन इसी वजह से यहां की मिट्टी बेहद उपजाऊ हो जाती है. खेती-किसानी इस क्षेत्र की जीवनरेखा बनी हुई है. यह इलाका बेगूसराय जिला मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर की दूरी पर है. राजधानी पटना यहां से लगभग 120 किलोमीटर दूर है.

चेरिया-बरियारपुर का इतिहास

विधानसभा के तौर पर चेरिया-बरियारपुर की स्थापना 1977 में हुई थी. यह सीट बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र के सात विधानसभा क्षेत्रों में से एक है और इसमें चेरिया-बरियारपुर, चौराही तथा नवकोठी प्रखंड के कुछ पंचायत शामिल हैं.

2000 और 2020 में राजद ने बड़ी बढ़त के साथ जीत हासिल की, जबकि 2005 में दोनों चुनावों में लोजपा ने बाजी मारी. 2010 और 2015 में जदयू ने सीट पर कब्जा जमाया. 1980 में सीपीआई ने यहां से एकमात्र बार जीत दर्ज की थी.

2010 और 2015 में राजद ने गठबंधन के तहत चुनाव नहीं लड़ा, जिससे जदयू को फायदा मिला. 2010 में जदयू ने महज 1061 वोटों से जीत दर्ज की, जबकि 2015 में महागठबंधन के समर्थन से उसने 29736 वोटों की बढ़त से सीट बचाई.

समीकरण

2020 में चेरिया-बरियारपुर में 249251 मतदाता पंजीकृत थे, जिनमें 16.74% अनुसूचित जाति और 10.90% मुस्लिम समुदाय के थे. 60.90% मतदान दर इस क्षेत्र की सक्रिय राजनीतिक भागीदारी को दर्शाता है, जो 2015 के मुकाबले थोड़ी अधिक थी. 2024 तक मतदाता संख्या बढ़कर 271391 हो गई है.

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लोकसभा चुनाव 2024 में कैसा रहा हाल

2024 के लोकसभा चुनावों में एनडीए को इस क्षेत्र में 9957 वोटों की बढ़त मिली, लेकिन चेरिया-बरियारपुर में विधानसभा और लोकसभा चुनावों के रुझान अक्सर भिन्न रहे हैं. 2019 में भाजपा ने यहां 52000 से अधिक वोटों की बढ़त ली थी, लेकिन 2020 में जदयू को हार का सामना करना पड़ा, जबकि वह भाजपा के समर्थन में थी.

2025 के विधानसभा चुनावों में यह सीट एक बार फिर चर्चा में रहेगी. जदयू पर दबाव बन सकता है कि वह सीट एनडीए के अन्य घटक दलों जैसे भाजपा या लोजपा (रा) के लिए छोड़े. राजद की मजबूत वापसी और जनसमर्थन को देखते हुए अन्य दलों को अब नई रणनीति अपनानी होगी, ताकि मुकाबले में बराबरी की टक्कर दी जा सके.

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