बिहार में विधानसभा चुनाव का दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है प्रभात खबर आपको बिहार के उन मुख्यमंत्रियों के बारे में विस्तार से बताएगा जिनके बारे में अब बहुत कम चर्चा होती है. इसी कड़ी में हम आज बात करेंगे बिहार के दूसरे और सबसे कम दिनों तक मुख्यमंत्री रहने वाले दीपनारायाण सिंह के बारे में. देश की आजादी के लिए अपना सबकुछ न्यौछावर करने वाले दीपनारायाण सिंह का जन्म भागलपुर में हुआ था.
जमींदार परिवार में हुआ था दीपनारायण सिंह का जन्म
दीपनारायण सिंह का जन्म 26 जनवरी 1875 को भागलपुर जिले के जमींदार तेजनारायण सिंह के घर में हुआ था. 13 साल की उम्र में उन्होंने अपने पिता के साथ 1888 में इलाहाबाद अधिवेशन में भाग लिया. इस दौरान इनकी मित्रता संविधान सभा के अस्थायी अध्यक्ष डाॅ सच्चिदानंद सिन्हा से हुई, जो ताउम्र रही. इस बीच वह अपनी पढ़ाई के लिए इंग्लैंड की राजधानी लंदन गए. जहां उन्होंने वकालत की डिग्री ली, लेकिन देशप्रेम ने उन्हें वापस लौटने को मजबूर कर दिया. बैलगाड़ी पर बैठकर स्वराज फंड के लिए एक-एक पैसे जोड़कर एक लाख रुपये जुटाये.
1905 में शुरू हुआ राजनीतिक करियर
दीपनारायण सिंह पहली बार 1905-06 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य बने. 1906 से 1910 तक बिहार के लगभग सभी प्रांतीय सम्मेलन की अध्यक्षता की. 1909 में इन्हें बिहार प्रांतीय कांग्रेस कमेटी का सचिव बनाया गया. दीपनारायण सिंह की पहली बार 1920 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से मुलाकात हुई. इसके बाद वह जीवनपर्यंत गांधीवादी रहे. असहयोग आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. उन्होंने पूरे भागलपुर में बैलगाड़ी पर सवार हो तिलक स्वराज फंड के लिये अकेले ही एक लाख रुपये जमा कर लिया था.
27 अगस्त को दिल्ली में हुए गिरफ्तार
1928 में वे बिहार प्रांतीय कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष बने. 1930 के नमक सत्याग्रह के दौरान जब डाॅ राजेन्द्र प्रसाद को गिरफ्तार कर लिया गया, तो उन्होंने दीप नारायण सिंह को अपना उत्तराधिकारी मनोनीत किया. अपनी यात्रा के दौरान 27 जुलाई, 1930 को वह आरा और बक्सर गये. 27 अगस्त को उन्हें दिल्ली में गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें हजारीबाग जेल में चार माह तक रखा गया.
समाज के विकास के लिये सारी संपत्ति कर दी दान
दीपनारायण सिंह का योगदान सामाजिक, शैक्षणिक व अन्य विकास कार्यों में रहा. आधुनिक शिक्षा के लिए दीपनारायण सिंह ने लीला-दीप ट्रस्ट संस्थान एवं गरीबों के लिए अपनी पहली पत्नी रमानंदी देवी के नाम पर नाथनगर में एक अनाथालय एवं स्कूल भी खोला. उन्होंने समाज के विकास के लिये अपनी सारी संपत्ति न्योछावर कर दी थी.
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महज 17 दिनों तक रहे सीएम
देश की आजादी के बाद दीपनारायण सिंह राजनीति में सक्रिय रहे. उन्होंने बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह की मृत्यु के बाद 1 फरवरी 1961 से 18 फरवरी 1961 तक 17 दिन के लिए वह राज्य के सीएम बने थे. इस दौरान वह हाजीपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीतकर विधानसभा के सदस्य बने थे.
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