कई कारखानों से गुलजार था क्षेत्र
1930 के दशक में बिजनेसमैन रामकृष्ण डालमिया द्वारा स्थापित डालमियानगर कभी रोहतास इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड के अधीन कई कल-कारखानों से भरा हुआ था. 1970 के दशक में अपराध और अपहरण ने सब बर्बाद कर दिया. धीरे-धीरे उद्योग बंद होते गए और 1990 तक यह क्षेत्र पूरी तरह उजड़ गया. वर्तमान में डेहरी में आरा मिल, घी प्रोसेसिंग, प्लास्टिक पाइप, फुटवियर और बल्ब निर्माण जैसे छोटे उद्योग सक्रिय हैं, लेकिन डालमियानगर की पूर्व चमक के सामने ये काफी छोटे प्रतीत होते हैं. डेहरी का रेलवे स्टेशन और इंद्रपुरी बैराज इसे पहचान दिलाते हैं, जो दुनिया के सबसे लंबे नदी बैराजों में एक है.
कैसा रहा इतिहास
डेहरी विधानसभा सीट की स्थापना 1951 में हुई और यह अब करकट लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. राजनीतिक इतिहास की बात करें तो शुरुआती वर्षों में यहां समाजवादी दलों का दबदबा रहा. 1952 और 1957 में बसावन सिंह ने समाजवादी दलों से जीत दर्ज की. इसके बाद कांग्रेस ने लगातार चार चुनाव जीते, पर 1985 के बाद वह यहां दोबारा जीत नहीं पाई.
जनता दल और निर्दलीय उम्मीदवारों को दो-दो बार सफलता मिली, और कुछ छोटी समाजवादी पार्टियों ने भी एक-एक बार जीत हासिल की. 2019 के उपचुनाव में भाजपा ने पहली बार जीत दर्ज की, जब राजद विधायक मोहम्मद इलियास हुसैन की सदस्यता रद्द कर दी गई. हालांकि, 2020 के आम चुनाव में राजद ने मात्र 464 वोटों से सीट वापस जीत ली.
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समीकरण
जनसांख्यिकीय दृष्टि से, डेहरी में अनुसूचित जाति की आबादी 16.91%, मुस्लिम मतदाता 10.6%, और ग्रामीण मतदाता 65.27% हैं. शहरी मतदाता 34.73% हैं. 2020 में कुल 294837 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 52.73% ने मतदान किया. 2024 में मतदाताओं की संख्या बढ़कर 296005 हो गई है.