बीजेपी के खाते में कैसे आई
वर्ष 2000 के चुनाव में राजद के मनोज कुमार सिंह ने यहां से जीत हासिल कर भाजपा से सीट छीन ली. फिर 2005 में बिहार में फरवरी और अक्टूबर दो बार विधानसभा चुनाव हुए. दोनों ही बार भाजपा के अवनीश कुमार सिंह ने जीत दर्ज कर पार्टी की वापसी कराई. 2010 में एक नया राजनीतिक चेहरा सामने आया जब निर्दलीय प्रत्याशी पवन कुमार जायसवाल ने सभी को चौंकाते हुए यह सीट जीत ली. 2015 के चुनाव में यह सीट राजद के खाते में चली गई और फैजल रहमान विधायक बने. लेकिन 2020 में भाजपा ने दोबारा पवन कुमार जायसवाल को टिकट देकर मैदान में उतारा और उन्होंने फैजल रहमान को हराकर सीट दोबारा भाजपा के खाते में ला दी.
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पवन की मजबूत पकड़
2020 के चुनाव में पवन कुमार जायसवाल ने 99792 वोट प्राप्त कर पहला स्थान हासिल किया था, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी फैजल रहमान को 89678 वोट मिले थे. वहीं आरएलएसपी के राम पुकार सिन्हा तीसरे स्थान पर रहे और उन्हें 10932 वोट मिले. इस चुनाव ने दर्शाया कि पवन कुमार जायसवाल की पकड़ अब इस क्षेत्र में मजबूत हो चुकी है.
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फिर बीजेपी VS राजद की उम्मीद
2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारी जोरों पर है. ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा एक बार फिर पवन कुमार जायसवाल को ही मैदान में उतार सकती है. दूसरी ओर राजद भी फैजल रहमान को दोबारा उतारने की योजना बना सकता है, जिन्होंने 2015 में जीत दर्ज की थी और 2020 में बेहद करीबी मुकाबला किया था. अगर महागठबंधन एकजुट होकर इस सीट पर चुनाव लड़ता है तो मुकाबला बेहद रोमांचक हो सकता है.