1967 में कुचायकोट से निर्दलीय कैंडिडेट एन राय ने सभी विरोधियों को मात देने में कामयाबी हासिल की थी। वहीं 1969 और 1972 के विधानसभा चुनाव में कुचायकोट से नगीना राय ने ही जीत का परचम लहराया था। 1969 में जाप के टिकट पर नगीना राय ने विरोधियों को मात दे दिया था।
वहीं 1972 में जहां कांग्रेस के टिकट पर नगीना राय ने जनता का समर्थन हासिल कर लिया था। वहीं कुचायकोट में 2010, 2015 और 2020 में जेडीयू की टिकट पर अमरेंद्र कुमार पांडे ने अपनी जीत का सिलसिला कायम रखी थी।
कुचायकोट सीट पर यादव,ब्राह्मण और मुस्लिम वोटर निर्णायक स्थिति में हैं। इन तीनों समूहों की आबादी कुल मिलाकर 35 फीसदी है। इसके अलावा यहां कोइरी वोटर भी अच्छी संख्या में हैं। 2020 के चुनाव में आरएलएसपी की कैंडिडेट सुनीता देवी ने 33 हजार से ज्यादा वोट हासिल किया था।
इस बार उपेंद्र कुशवाहा भी एनडीए के साथ हैं। इसलिए 2025 के चुनाव में कुचायकोट सीट पर जेडीयू उम्मीदवार का पलड़ा बहुत भारी नजर आ रहा है।
विधायक पर दूसरे की जमीन पर कब्जा करने का आरोप
जिले के कुचायकोट थाना में जेडीयू विधायक अमरेंद्र कुमार पांडेय उनके भाई सतीश पांडेय समेत तीन लोगों पर जमीन कब्जा करने का प्रयास मामले में एफआईआर दर्ज किया गया है. वहीं दर्ज एफआईआर के बाद पुलिस मामले की जांच शुरू कर दी है.
FIR मीरगंज थाना क्षेत्र के सेमराव गांव निवासी जितेंद्र कुमार राय द्वारा कुचायकोट थाना में कुचायकोट विधानसभा क्षेत्र से जदयू विधायक अमरेंद्र कुमार पांडेय, उनके बड़े भाई सतीश पांडेय और सिवान जिले के कदम मोड़ (बलेथा बाजार) निवासी भोला पांडेय के खिलाफ जमीन का फर्जी कागज बनाकर दखल कब्जा करने के प्रयास को लेकर कुचायकोट थाने में आवेदन देकर मामला दर्ज करवाया है.
Also Read: Bhor : भोरे विधानसभा सीट पर शिक्षा मंत्री सुनील कुमार को मिलेगी कड़ी चुनौती
क्या है पूरा मामला?
पीड़ित जितेंद्र कुमार राय किरण सिन्हा के प्रतिनिधि के तौर पर कार्यरत हैं। उन्होंने अपने आवेदन में बताया कि कुचायकोट थाना क्षेत्र के बेलवा गांव स्थित खाता नंबर 38, खेसरा नंबर 513, कुल रकबा 16 एकड़ 93 डिसमिल भूमि पर वह लंबे समय से खेती कर रहे हैं।
उनका आरोप है कि इस ज़मीन पर फर्जी दस्तावेज़ तैयार कर कब्जा करने की साजिश रची गई। जितेंद्र कुमार राय ने यह भी दावा किया कि 4 अगस्त 2024 को जब वह खेत की जोताई कर रहे थे तब चार-पांच लोग हथियारों से लैस होकर वहां पहुंचे और उन्हें धमकाते हुए खेत में काम करने से रोकने का प्रयास किया गया।