नक्सल प्रभावित था यह इलाका
कभी यह क्षेत्र नक्सल के प्रभाव में हुआ करता था, खासकर 1990 और 2000 के दशक में, जब यह नक्सलियों के लिए एक मार्गीय गलियारा था. हालांकि 2020 के बाद से हालात में बड़ा बदलाव आया है. ऑपरेशन ऑक्टोपस जैसे सुरक्षा अभियानों के चलते अब यह क्षेत्र अपेक्षाकृत शांत है, हालांकि कुछ गांव जैसे सांगमा, देवपुर और पारसी अब भी संवेदनशील माने जाते हैं. गृह मंत्रालय ने इसे अब कम तीव्रता वाला क्षेत्र घोषित किया है.
जातीय समीकरण
2011 की जनगणना के अनुसार कुर्था का क्षेत्रफल लगभग 122 वर्ग किलोमीटर है और कुल जनसंख्या 1.21 लाख के आसपास थी. साक्षरता दर 51.83% है जो राज्य औसत से काफी कम है और महिलाओं में तो यह महज 41.86% तक सीमित है. कुल 70 गांव हैं जिनमें से एक-तिहाई की आबादी 1000 से भी कम है.
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पिछले विधानसभा चुनाव का हाल
2020 में राजद के बगी कुमार वर्मा ने जदयू के पूर्व मंत्री सत्यदेव सिंह को 27810 वोटों से हराया था. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी राजद को कुर्था में बढ़त मिली, जिससे 2025 में एनडीए के लिए इस सीट को फिर से रणनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है. यहां कुशवाहा, यादव और भूमिहार जाति की निर्णायक भूमिका है. अनुसूचित जातियां करीब 19%, और मुस्लिम आबादी 8.3% है. यहां की समूची आबादी ग्रामीण है. 2020 में कुल पंजीकृत मतदाता 2.48 लाख थे, जिसमें से केवल 55.21% ने मतदान किया.