वैश्य समुदाय का सबसे बड़ा वोट बैंक
मुजफ्फरपुर सीट पर जातीय समीकरण बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. वैश्य समुदाय का वोट बैंक सबसे बड़ा है, जबकि मुस्लिम मतदाता महागठबंधन के पक्ष में नजर आते हैं. भूमिहार समुदाय का प्रभाव भी अन्य जातियों के वोटिंग पैटर्न को प्रभावित करता है. इतिहास की बात करें तो 1952 में शिवनंदा ने कांग्रेस से जीत दर्ज की थी और इसके बाद कई चुनाव कांग्रेस और वाम दलों के पक्ष में रहे. 1995 से 2005 तक विजेंद्र चौधरी ने राजद से जीत हासिल की थी, जबकि 2010 और 2015 में सुरेश शर्मा भाजपा से विधायक बने थे.
जनसुराज भी दिखाएगी दावेदारी
इस बार चुनावी समर में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलने वाला है. इस बार मुजफ्फरपुर सीट से प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज भी अपना उम्मीदवार उतारेगी. ऐसे में प्रशांत किशोर के चुनावी मैदान में आने से इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. मुस्लिम, कायस्थ, भूमिहार, यादव, पासवान और कुर्मी समुदाय के वोटरों की भूमिका निर्णायक मानी जा रही है.
जातीय समीकरण और सियासी गणित
मुजफ्फरपुर सीट की जातीय समीकरण की बात करें तो यहां मुस्लिम, राजपूत, भूमिहार निर्णायक संख्या में हैं. वहीं ब्राह्मण, कुर्मी, रविदास, पासवान और यादव वोटरों की भी बड़ी भूमिका रहती है. इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी जहां एक ओर तीसरी बार चुनाव जीतने के मंशे से मैदान में उतरेगी तो वहीं कांग्रेस भी अपनी जमीन बरकरार रखना चाहेगी.
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