Bihar Election 2025: मुजफ्फरपुर सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला, चुनावी तैयारी में ताकत झोंक रही पार्टियां

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में मुजफ्फरपुर सीट पर बीजेपी और कांग्रेस में जबरदस्त टक्कर है. जातीय समीकरण और चुनावी इतिहास इसे बेहद रोचक बना रहे हैं. इस सीट पर वैश्य समुदाय का वोट बैंक सबसे बड़ा है. इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है. पढे़ं पूरी खबर…

By Aniket Kumar | May 17, 2025 8:45 PM
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Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं और मुजफ्फरपुर विधानसभा सीट एक बार फिर से चर्चा में है. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल इस सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के विजेंद्र चौधरी ने भाजपा के सुरेश शर्मा को 6,326 वोटों से हराकर बड़ा उलटफेर किया था. विजेंद्र चौधरी को 81,871 वोट मिले थे जबकि सुरेश शर्मा को 75,545 मत प्राप्त हुए थे.

वैश्य समुदाय का सबसे बड़ा वोट बैंक

मुजफ्फरपुर सीट पर जातीय समीकरण बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. वैश्य समुदाय का वोट बैंक सबसे बड़ा है, जबकि मुस्लिम मतदाता महागठबंधन के पक्ष में नजर आते हैं. भूमिहार समुदाय का प्रभाव भी अन्य जातियों के वोटिंग पैटर्न को प्रभावित करता है. इतिहास की बात करें तो 1952 में शिवनंदा ने कांग्रेस से जीत दर्ज की थी और इसके बाद कई चुनाव कांग्रेस और वाम दलों के पक्ष में रहे. 1995 से 2005 तक विजेंद्र चौधरी ने राजद से जीत हासिल की थी, जबकि 2010 और 2015 में सुरेश शर्मा भाजपा से विधायक बने थे.

जनसुराज भी दिखाएगी दावेदारी

इस बार चुनावी समर में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलने वाला है. इस बार मुजफ्फरपुर सीट से प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज भी अपना उम्मीदवार उतारेगी. ऐसे में प्रशांत किशोर के चुनावी मैदान में आने से इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. मुस्लिम, कायस्थ, भूमिहार, यादव, पासवान और कुर्मी समुदाय के वोटरों की भूमिका निर्णायक मानी जा रही है. 

जातीय समीकरण और सियासी गणित

मुजफ्फरपुर सीट की जातीय समीकरण की बात करें तो यहां मुस्लिम, राजपूत, भूमिहार निर्णायक संख्या में हैं. वहीं ब्राह्मण, कुर्मी, रविदास, पासवान और यादव वोटरों की भी बड़ी भूमिका रहती है. इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी जहां एक ओर तीसरी बार चुनाव जीतने के मंशे से मैदान में उतरेगी तो वहीं कांग्रेस भी अपनी जमीन बरकरार रखना चाहेगी.

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