1 अगस्त को जारी होगी ड्राफ्ट मतदाता सूची
याचिकाकर्ताओं ने आशंका जताई है कि आगामी 1 अगस्त को जो ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी होने वाली है, उसमें बड़ी संख्या में नामों को हटाया जा सकता है. इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि यदि यह पाया गया कि व्यापक स्तर पर मतदाताओं को सूची से बाहर किया गया है, तो न्यायालय तत्काल हस्तक्षेप करेगा.
“न्यायिक दृष्टिकोण से करेंगे समीक्षा”: सुप्रीम कोर्ट
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वे इस पूरे मामले को एक न्यायिक प्राधिकरण के रूप में देख रहे हैं. कोर्ट ने साफ किया कि मतदाता सूची से किसी को भी मनमाने ढंग से हटाना संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन होगा और ऐसा होने की स्थिति में कोर्ट दखल देने से पीछे नहीं हटेगा.
8 अगस्त तक याचिकाकर्ता दाखिल करें जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया है कि वे अपनी लिखित दलीलें और जवाब 8 अगस्त तक दाखिल करें. इसके बाद 12 और 13 अगस्त को इस मामले की दो दिवसीय सुनवाई की जाएगी. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस दौरान निर्वाचन आयोग को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि सूची की पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे.
याचिकाकर्ताओं ने उठाए गंभीर सवाल
दायर याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि बिहार में मतदाता सूची को अद्यतन करने की प्रक्रिया में कई असंगतियां हैं. विशेष रूप से यह चिंता जताई गई कि मृत, स्थानांतरित या अनुपस्थित पाए गए मतदाताओं की आड़ में कई वास्तविक और जीवित मतदाताओं के नाम भी हटाए जा सकते हैं. इस प्रक्रिया में जातिगत और वर्गीय भेदभाव की आशंका भी जताई गई है.
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