Paliganj Vidhan Sabha Chunav 2025: पालीगंज के नाम की कोई ठोस ऐतिहासिक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन माना जाता है कि इसका नाम प्राचीन पाली भाषा से लिया गया है, जो बौद्ध ग्रंथों से जुड़ी है. पुरातात्विक साक्ष्य बताते हैं कि पालीगंज मध्यकालीन युग में एक समृद्ध सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र था. भारतपुरा गांव में गुलाम वंश, तुगलक, बाबर और अकबर काल के विभिन्न राजवंशों के 1,300 से अधिक प्राचीन सिक्कों की खोज इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती है. विशेषज्ञ मानते हैं कि भारतपुरा का गहन अध्ययन अभी बाकी है, जो क्षेत्र के इतिहास को और उजागर कर सकता है.
पालीगंज विधानसभा सीट का इतिहास
1952 में राम लखन सिंह यादव कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में विजयी हुए, जबकि 1957 में चंद्रदेव प्रसाद वर्मा ने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की. इसके बाद 1962 में यादव ने वापसी की, फिर वर्मा ने 1967 और 1969 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की. यादव ने इसके बाद 1980, 1985 और 1990 में हैट्रिक लगाई. वहीं वर्मा ने 1991 और 1995 में जनता दल के टिकट पर लगातार दो बार जीत हासिल की. 1991 का उपचुनाव यादव के लोकसभा के लिए आरा से निर्वाचित होने के बाद विधानसभा से इस्तीफा देने के कारण हुआ था.
कांग्रेस ने पालीगंज सीट छह बार जीती है, जिनमें से पांच बार राम लखन सिंह यादव ने जीत हासिल की. समाजवादी पार्टियों ने चंद्रदेव प्रसाद वर्मा के नेतृत्व में तीन बार और भाकपा (माले) ने भी तीन बार यह सीट जीती है. भाजपा, राजद और जनता दल ने दो-दो बार इस सीट पर कब्जा जमाया है, जबकि 1977 में एक बार निर्दलीय उम्मीदवार ने भी जीत दर्ज की थी.
2020 का चुनाव कई दलबदलुओं की उपस्थिति के कारण खास रहा. राजद के मौजूदा विधायक जय वर्धन यादव, जो राम लखन सिंह यादव के पौत्र हैं, ने तब जदयू का दामन थाम लिया जब राजद ने यह सीट अपने गठबंधन में भाकपा (माले) को सौंप दी. जदयू ने एनडीए में यह सीट पहले ही तय कर दी थी, भाजपा की 2010 की विधायक उषा विद्यार्थी लोजपा से मैदान में उतर गईं. अंततः यह सीट भाकपा (माले) के संदीप यादव ने 30,915 वोटों के बड़े अंतर से जीत ली वहीं, 2024 लोकसभा चुनावों में राजद की मीसा भारती ने पालीगंज विधानसभा क्षेत्र में अपने भाजपा प्रतिद्वंद्वी राम कृपाल यादव पर 19,681 वोटों की बढ़त बनाई.
पालीगंज विधानसभा सीट का समीकरण
पालीगंज विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण अहम भूमिका निभा सकता है. यहां पर भूमिहार, मुस्लिम और यादव वोटरों की संख्या करीब 20-20 प्रतिशत है. इस सीट पर जातीय समीकरण अहम भूमिका निभा सकता है. यहां पर भूमिहार, मुस्लिम और यादव वोटरों की संख्या करीब 20-20 प्रतिशत है. साल 1980 में इस सीट पर 81.57 प्रतिशत सबसे ज्यादा मतदान हुआ था.
पालीगंज विधानसभा क्षेत्र में पालीगंज और दुल्हिनबाजार दो प्रखंड आते हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार, पालीगंज प्रखंड की जनसंख्या 2,54,904 थी, जबकि दुल्हिनबाजार की जनसंख्या 1,24,966 थी. इन प्रखंडों में लिंगानुपात क्रमशः 947 और 930 महिलाओं प्रति 1,000 पुरुष था. साक्षरता दर भी लगभग समान थी, पालीगंज में 53.67% (पुरुष: 63.30%, महिला: 43.30%) और दुल्हिनबाजार में 53.73% (पुरुष: 62.60%, महिला: 44.20%) थे. दोनों प्रखंडों में कुल 168 गांव शामिल हैं.
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पालीगंज विधानसभा क्षेत्र, पाटलिपुत्र लोकसभा सीट के छह हिस्सों में से एक है. 2020 में इस क्षेत्र में 2,83,864 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर 2,93,646 हो गए. अनुसूचित जाति के मतदाता लगभग 18.76% और मुस्लिम मतदाता लगभग 9% हैं. 2020 में शहरी मतदाताओं की भागीदारी मात्र 2.79% थी. उस वर्ष मतदान प्रतिशत 54.74% दर्ज किया गया था.
2025 के चुनावों के लिए संकेत स्पष्ट हैं. एनडीए को नई रणनीति, बेहतर तालमेल और एक मजबूत उम्मीदवार के साथ मैदान में उतरना होगा ताकि वह राजद के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन से पालीगंज की सीट छीन सके.
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