JDU और कांग्रेस में होती रही है टक्कर
2020 के विधानसभा चुनाव में यहां बड़ा राजनीतिक उलटफेर देखने को मिला, जब कांग्रेस के विश्वनाथ राम ने जेडीयू के संतोष कुमार निराला को 21,000 से अधिक वोटों से हराकर सीट अपने नाम कर ली. यह जीत कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण मानी गई क्योंकि यह लंबे अरसे बाद पार्टी की वापसी को दर्शाती है. इस चुनाव ने यह भी दिखा दिया कि राजपुर की जनता अब बदलाव चाहती है और जातीय समीकरणों से हटकर विकास के मुद्दों पर वोट देने लगी है.
क्या है जातीय समीकरण ?
राजपुर में दलित वोटरों की बड़ी संख्या है, जो चुनावी समीकरणों में अहम भूमिका निभाते हैं. इसके अलावा मुसलमानों और पिछड़ी जातियों का भी अच्छा खासा प्रभाव है. 2024 के लोकसभा चुनाव में बक्सर सीट से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की जीत ने महागठबंधन के हौसले बुलंद किए हैं. इसका असर 2025 के विधानसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है, जहां कांग्रेस और राजद के गठबंधन की स्थिति मजबूत मानी जा रही है.
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क्या है मौजूदा राजनितिक हालात ?
वर्तमान में राजपुर से विधायक विश्वनाथ राम (कांग्रेस) हैं, जो एक सक्रिय और दलित समुदाय से आने वाले नेता माने जाते हैं. 2025 के चुनाव में महागठबंधन इस सीट को बरकरार रखने की कोशिश करेगा, वहीं एनडीए में सीट के बंटवारे को लेकर भाजपा और जेडीयू के बीच खींचतान हो सकती है. इसके साथ ही चिराग पासवान की अगुवाई वाली लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) भी इस सीट पर दावेदारी जता सकती है, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है. इस तरह राजपुर विधानसभा सीट बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, जहां चुनाव परिणाम न केवल स्थानीय बल्कि राज्यस्तर पर भी सियासी संकेत देने का काम करते हैं.