कैसा रहा है इतिहास
राजनीतिक दृष्टि से रोसड़ा विधानसभा सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है. यह पहले एक स्वतंत्र लोकसभा सीट भी थी, लेकिन 2008 के परिसीमन में इसे समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में शामिल कर दिया गया. अब यह इस लोकसभा क्षेत्र की छह विधानसभा सीटों में से एक है.
1951 से अब तक इस विधानसभा सीट पर 17 आम चुनाव और एक उपचुनाव हो चुके हैं. कांग्रेस ने यहां पांच बार जीत हासिल की है, जिसमें आखिरी जीत 2015 में हुई थी. बीजेपी तीन बार विजयी रही है, जबकि लोकदल, जनता दल और राजद ने दो-दो बार सफलता हासिल की है. जेडीयू और एक निर्दलीय प्रत्याशी ने भी एक-एक बार जीत दर्ज की है.
समीकरण
रोसड़ा विधानसभा सीट की जनसंख्या में अनुसूचित जातियों की हिस्सेदारी लगभग 19.5% और मुस्लिम आबादी लगभग 9.2% है. 2020 में इस सीट पर 3.3 लाख से अधिक पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 93.6% ग्रामीण क्षेत्र में रहते थे. उस वर्ष मतदान प्रतिशत 55.1% रहा. 2024 के लोकसभा चुनाव तक मतदाताओं की संख्या बढ़कर 336479 हो गई.
2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के बीरेंद्र कुमार ने कांग्रेस के नागेन्द्र कुमार पासवान को 35744 वोटों से हराकर बड़ी जीत दर्ज की, जबकि उस समय एलजेपी एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ रही थी. अब एलजेपी फिर से एनडीए का हिस्सा है जिससे बीजेपी की स्थिति और भी मजबूत हो गई है.
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