सिंघेश्वर स्थान का धार्मिक इतिहास
Singheshwar Vidhan Sabha Chunav 2025: राजनीतिक चेतना के लिए प्रसिद्ध इस सीट की एक और पहचान है – इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व. सिंहेश्वरधाम शिव मंदिर न केवल उत्तर बिहार बल्कि नेपाल के तराई क्षेत्रों तक के लोगों की आस्था का केंद्र है. यह स्थान ऋषि श्रृंगी की तपोभूमि रही है और ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में राजा दशरथ ने यहीं पुत्रेष्टि यज्ञ कराया था, जिससे उन्हें राम सहित चार पुत्रों की प्राप्ति हुई.
इस चुनाव में सिंहेश्वर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का मुद्दा एक बार फिर केंद्र में है. पिछले दो दशकों से इस मुद्दे को लेकर वादे तो खूब हुए, लेकिन ज़मीनी हकीकत में अब भी सिंहेश्वर मूलभूत सुविधाओं और सौंदर्यीकरण के इंतज़ार में है.
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धार्मिक पहचान के बावजूद विकास की राह पर उपेक्षित यह सीट इस बार एक बार फिर राजनीतिक दलों के घोषणापत्रों में प्रमुख स्थान लेती दिख रही है. जनता अब यह देख रही है कि कौन सिर्फ वादा करता है और कौन वाकई भोलेनाथ की नगरी को उसका हक दिला सकता है.
हर चुनाव में इसे पर्यटन स्थल बनाने के वादे किए जाते हैं, पर स्थिति जस की तस बनी है. 2025 में यह मुद्दा फिर से चुनावी केंद्र में है. जनता उम्मीद लगाए बैठी है कि इस बार कोई गंभीर प्रत्याशी सिंहेश्वर की किस्मत बदलने आएगा.