Bihar Election 2025: बिहार के बेलहर विधानसभा की गजब है कहानी, यहां विकास नहीं…ये है जीत का असली एजेंडा

Bihar Election 2025: बांका जिले की बेलहर विधानसभा सीट बिहार की उन राजनीतिक जमीनों में से एक है, जहां चुनावी फैसले विकास नहीं, बल्कि जाति से तय होते हैं. यहां यादव वोटरों का वर्चस्व इतना मजबूत है कि उम्मीदवार की छवि, योग्यता या एजेंडा नहीं, सिर्फ उसकी जाति जीत और हार तय करती है.

By Abhinandan Pandey | August 5, 2025 10:24 AM
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Bihar Election 2025: बिहार के बांका जिले की बेलहर विधानसभा सीट एक बार फिर सुर्खियों में है. इस सीट की राजनीतिक कहानी किसी विकास योजना या शिक्षा सुधार से नहीं, बल्कि जातिगत समीकरणों से तय होती है. बेलहर की सियासत को नजदीक से समझने वाले जानकार साफ कहते हैं- यहां चुनाव में सिर्फ एक ही फैक्टर काम करता है, और वह है ‘यादव फैक्टर’.

यहां की राजनीति इतनी जाति केंद्रित है कि उम्मीदवार की योग्यता, छवि या विकास का एजेंडा मायने नहीं रखता. मतदाता चौपाल पर भले ही शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य व्यवस्था की चर्चा करें, लेकिन ईवीएम के सामने खड़े होते ही सिर्फ उम्मीदवार की जाति देखने लगते हैं.

यादव उम्मीदवार की गारंटी- सीधी जीत

बेलहर सीट पर यादव समुदाय का वर्चस्व इतना प्रभावी है कि बीते दो दशकों में यहां से अधिकतर बार यादव प्रत्याशी ही जीतते आए हैं. चाहे वह किसी भी पार्टी से क्यों न हो- राजद हो या जेडीयू, यदि उम्मीदवार यादव है, तो जीत की संभावना लगभग तय मानी जाती है.

स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क या पीने के पानी जैसे बुनियादी मुद्दे चुनावी एजेंडे में नहीं आते. बेलहर में अस्पतालों की स्थिति दयनीय है, पानी में आर्सेनिक की मात्रा है, रोजगार के अवसर सीमित हैं. लेकिन ये मुद्दे मतदाता के वोटिंग निर्णय पर असर नहीं डालते.

बीजेपी की अब तक की नाकामी

बेलहर सीट 1962 में अस्तित्व में आई थी और तब से आज तक बीजेपी को यहां एक बार भी जीत नसीब नहीं हुई. शुरुआती दौर में कांग्रेस का दबदबा रहा, लेकिन 1985 के बाद कांग्रेस की पकड़ कमजोर होती गई. फिर लालू यादव की पार्टी राजद ने यादव वोट बैंक को साधते हुए 2000 में पहली बार जीत दर्ज की.

हालांकि 2005 में नीतीश कुमार की लहर में जेडीयू ने सीट पर कब्जा जमाया. उसके बाद 2010 और 2015 में भी जेडीयू के उम्मीदवार विजयी रहे. 2020 के विधानसभा चुनाव में मनोज यादव, जो पहले बीजेपी से चुनाव लड़े थे, फिर जेडीयू में शामिल होकर मैदान में उतरे और जीत दर्ज की थी.

इस सीट पर 2019 में हुए उपचुनाव में राजद को सफलता मिली थी, जब रामदेव यादव ने जेडीयू के उम्मीदवार को हराया. लेकिन 2020 में फिर से मनोज यादव ने बाजी मार ली.

बीजेपी की 2025 की रणनीति

बीजेपी को इस बात का अंदाजा है कि बेलहर सीट पर जाति सबसे बड़ा फैक्टर है. इसलिए पार्टी यहां से किसी प्रभावशाली यादव उम्मीदवार को मैदान में उतारने की रणनीति बना रही है. स्थानीय कार्यकर्ताओं के अनुसार, पार्टी ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है.

हालांकि, यहां की मुस्लिम आबादी भी निर्णायक भूमिका निभा सकती है. यदि 2025 के चुनाव में एआईएमआईएम (ओवैसी की पार्टी) ने उम्मीदवार खड़ा किया, तो मुस्लिम वोटों में सेंध लगना तय है, जिसका नुकसान सीधे राजद को हो सकता है.

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