तेघरा का इतिहास
तेघरा विधानसभा में अब तक कुल 15 चुनाव इस क्षेत्र में हो चुके हैं. इसमें से 6 बार तेघरा के नाम से और 9 बार बरौनी के नाम से चुनाव हुआ है. तेघरा/बरौनी में CPI ने 1962 से 2005 तक लगातार 10 चुनावों में जीत हासिल की. हालांकि 2008 में परिसीमन के बाद बदलते भूगोल और सामाजिक समीकरणों ने CPI की स्थिति को कमजोर कर दिया.
2010 में BJP ने पहली बार इस सीट पर कब्जा किया और 2015 में RJD ने जीत हासिल की. फिर 2020 में CPI ने दमदार वापसी की. राजद के साथ गठबंधन में यह सीट CPI के खाते में गई और उनके उम्मीदवार ने 47979 वोटों के भारी अंतर से जदयू को शिकस्त दी.
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समीकरण
2020 में तेघरा में 285190 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 तक बढ़कर 305595 हो गए. इनमें 10.78% अनुसूचित जाति और 13.3% मुस्लिम समुदाय के मतदाता हैं. यहां की जनसंख्या संरचना में ग्रामीण मतदाता 49.84% और शहरी मतदाता 50.16% हैं, जो इसे बिहार के अन्य विधानसभा क्षेत्रों से अलग बनाती है. यहां का औसत मतदान प्रतिशत 59% से 63% के बीच रहा है. 2020 में 60.21% लोगों ने वोट डाला था.
विधानसभा और लोकसभा चुनावों में यहां के रुझान थोड़े अलग होते हैं. उदाहरण के तौर पर देखें तो 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को इस क्षेत्र से 45818 वोटों की बढ़त मिली, जबकि CPI के विधायक यहां से चुनाव जीते हैं. इससे यह साफ है कि तेघरा के मतदाता स्थानीय और राष्ट्रीय चुनावों में अलग-अलग सोच अपनाते हैं.