लोकसभा चुनाव से ही शाहाबाद में राजनीतिक सरगर्मी नहीं थमी है. विधानसभा चुनाव की आहट से इस इलाके में फिर से सियासी उबाल आ गया है. शाहाबाद के बक्सर, आरा, रोहतास और कैमूर जिले में महागठबंधन बढ़त में है. बीते चुनाव के आधार पर इन चारों जिलों में जदयू मजबूत स्थिति में नहीं है. इस इलाके में अधिकांश सीटें भाजपा के बाद राजद, कांग्रेस और भाकपा माले के बीच बंटी हुई है. जबकि 2015 के विधानसभा चुनाव में इस इलाके में जदयू की भी मजबूत धमक थी. तब जदयू का राजद, कांग्रेस और भाकपा माले से गठबंधन था. बाद में राजनीतिक समीकरणों में फेरबदल होते रहे. इस फेरबदल में राजनीतिक व जातीय समीकरण शिफ्ट होते रहे. 2015 में जदयू के साथ लड़े महागठबंधन दलों के स्थानीय नेताओं ने नया समीकरण साध लिया. शाहाबाद में एनडीए से बड़े नेताओं की कमी ने भी एनडीए को नुकसान पहुंचाया. इसका असर 2020 के विधानसभा चुनाव पर सीधा पड़ा. आगामी विधानसभा चुनाव में शाहााबाद में भाजपा-जदयू पुरानी जमीन कब्जा करने उतरेंगे. जबकि महागठबंधन जीती हुई सीटों को बरकरार रखने और बढ़ाने की आजमाइश करेगा.
2020 के चुनाव में महागठबंधन ने यूं बदली थी रणनीति
2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने रणनीति बदल दी. सीटों की अदला-बदली की. इससे नये सामाजिक समीकरण बन गये. बक्सर जिले की डुमरांव विधानसभा सीट पर राजद ही चुनाव लड़ता था. मगर, प्रयोग के तौर पर यह सीट भाकपा माले को दे दी गयी. माले ने यहां कुशवाहा उम्मीदवार उतार दिया और इसकी जीत भी हो गयी. बक्सर से पारंपरिक तौर पर वामपंथी दल लड़ा करते थे. 2015 में यहां रणनीति बदली गयी. यह सीट कांग्रेस को दे दी गयी. कांग्रेस ने यह सीट जीत भी ली. अभी भी इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है. रोहतास की डेहरी-ऑनसोन विधानसभा से राजद से मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव लड़ते आ रहे थे. यहां भी राजद ने बदलाव किया. कुशवाहा उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारा और उसकी जीत हुई. इन सीटों पर दल व उम्मीदवार बदलने से आसपास की सीटों पर भी इसका असर हुआ. भोजपुर जिले की जगदीशपुर सीट से राजद ने 2020 में अपने जीते हुए विधायक का टिकट काट दिया. उनकी जगह दूसरा उम्मीदवार उतारा. उनकी भी जीत हुई. माले राजद का वोट आसानी से समर्थित दलों को ट्रांसफर हो जा रहा है.
शाहाबाद को खुद प्रधानमंत्री ने फोकस में रखा है
शाहाबाद को एनडीए ने प्राथमिकता सूची में रखी है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर फोकस किया है. विधानसभा चुनाव के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनडीए के दूसरे बड़े नेताओं की ताबड़तोड़ राजनीतिक सभाओं से सियासी तापमान और बढ़ा है. दरअसल, शाहाबाद की आरा, बक्सर और काराकाट लोकसभा सीट से एनडीए की हार हुई थी. तब से ही एनडीए ने इसे कसौटी पर रखा है. काराकाट लोकसभा सीट ने शाहाबाद की पूरा राजनीतिक समीकरण बदल दिया था.
2020 के चुनाव में महागठबंधन को मिली थी जबरदस्त बढ़त
2020 के विधानसभा चुनाव में बक्सर की सभी चार सीटों पर महागठबंधन का कब्जा हुआ. दो पर राजद, एक पर माले और एक पर कांग्रेस की जीत हुई. इस दौरान हुए चुनाव में आरा में भी राजद को तीन, भाजपा को दो और माले को भी दो सीटों पर जीत मिली थी. बाद में हुए उप चुनाव में दो सीटों पर एनडीए ने वापसी की. रोहतास में भाजपा एक, तीन पर राजद, एक पर कांग्रेस और एक सीट पर माले उम्मीदवार की जीत हुई. भभुआ में दो-दो सीटें राजद और भाजपा के बीच बंटी हुई हैं.
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2015 के चुनाव में जदयू की थी जोरदार धमक
2015 में जदयू का महागठबंधन के साथ गठबंधन था. इस चुनाव में जदयू की जबरदस्त धमक दिखी थी. इस साल हुए चुनाव में बक्सर जिले की एक सीट पर राजद, एक पर कांग्रेस और दो पर जदयू का कब्जा था. रोहतास जिले में में चार राजद, दो जदयू और एक पर अन्य का कब्जा हुआ था. भभुआ जिले में भाजपा का प्रदर्शन बेहतर था. जबकि आरा में पांच पर राजद, एक पर जदयू और एक सीट पर माले की जीत हुई थी.