शिक्षा किसी भी देश के नींव की आधार होती है. वर्ष 1964 में गठित कोठारी कमीशन ने भी शिक्षा पर बजट में छह प्रतिशत जीडीपी के खर्च की सिफारिश की थी. दशकों बीतने के बाद भी इस संबंध में उचित कदम नहीं उठाया गया. केंद्रीय बजट में शिक्षा के मद में आवश्यक राशि के आवंटन की मांग पॉलिसी एक्सपर्ट और शिक्षाविद लंबे समय से करते रहे हैं. यह मांग और भी प्रासंगिक हो जाती है, क्यों कि भारत में शिक्षण संस्थान और छात्रों का नामांकन लगातार बढ़ता जा रहा है.
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