नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि सरकार द्वारा वस्तुओं की वाजिब कीमत सुनिश्चित करने के कारण उपभोक्ता जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) को लेकर कोई शिकायत नहीं कर रहे लेकिन पता नहीं क्यों कुछ व्यापारी शिकायत कर रहे हैं ?
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आश्चर्य जताया कि जीएसटी दरों को लेकर महज कुछ व्यापारी ही शोर क्यों मचा रहे हैं जबकि टैक्स का बोझ अंतत: तो उपभोक्ताओं पर पड़ता है. जेटली ने कहा कि माल एवं सेवा कर के बारे में उपभोक्ता शिकायत नहीं कर रहे हैं क्योंकि सरकार ने जीएसटी दरें तर्कसंगत स्तरों पर रखी हैं.
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जेटली ने कहा, कि पूरे देश में कहीं भी कोई उपभोक्ता शिकायत नहीं कर रहा है क्योंकि हमने करों की श्रेणियां ताकर्कि बनाने का प्रयास किया है. तो क्यों एक या दो व्यापारी शिकायत कर रहे हैं? व्यापारियों को कर नहीं भरना पड़ता, कर उपभोक्ता देता है. ‘ ‘ वित्तमंत्री ने कहा कि कोई यह दावा नहीं कर सकता कि कर नहीं चुकाना उसका मौलिक अधिकार है. हमारे समाज की सोच बन गयी थी कि कर न चुकाना कोई गलत बात नहीं है. इस मानसिकता को बदलने और नई सोच पैदा करने की जररत है. भारत को यदि विकासशील देश से विकसित देश बनना है तो लोगों की सोच और प्रवृति विकसित अर्थव्यवस्थाओं की भांति होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि किसी भी आथर्कि सुधार के लिए जरूरी है कि सरकार की दिशा सही हो. किसी भी अधकचरे प्रयास से सुधार नहीं होते, सरकार हिचक गयी तो वह सुधार लाने में कभी सफल नहीं होती है. उन्होंने कुछ आलोचकों की इस बात को खारिज किया कि जीएसटी में केवल एक दर होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भविष्य में 12 और 18 प्रतिशत की दरें किसी एक मिल सकती हैं लेकिन आज यदि हम केवल एक दर 15 प्रतिशत की रखते तो गरीबों के इस्तेमाल की चीजें, जिनपर कर की दर शून्य रखी गयी है, महंगी हो जाएंगी. वित्त मंत्री ने कहा कि कराधान की नीति न्यायपूर्ण होनी चाहिए.
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जीएसटी प्रभावी हो गया है. उसमें कर की दरें 5, 12,18 और 28 प्रतिशत रखी गयी हैं और कुछ आवश्यक वस्तुओं पर कर की दर शून्य है. जेटली ने कहा कि यह राष्ट्र का सामूहिक फैसला है और इसे रह राज्य सरकार का समर्थन प्राप्त है. उन्होंने कहा, ‘ ‘चिंता की कोई बात नहीं है , कुछ लोग चिंतित हैं, इसलिए वे इससे दूरी बनाकर चल रहे हैं. यह राष्ट्र का सामूहिक फैसला है और मेरा विश्वास है कि यह निश्चित रूप से देश के लिए लाभदायक होगा। जब भी कभी बदलाव होता है तो तकनीकी आधारित परेशानियां तो आती ही हैं. ‘ ‘
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