#GST : बड़ी गाड़ी खरीदने की सोच रहे हैं, तो जल्दी करें, देरी पड़ेगी महंगी

नयी दिल्ली: जीएसटी परिषद ने एसयूवी, मध्यम आकार की व बड़ी एवं लक्जरी कारों पर उपकर (सेस) की दर को मौजूदा 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 25% करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इससे बड़ी कारें अब और महंगी हो जायेंगी. बताते चलें कि माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के लागू होने के बाद इनकारों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 7, 2017 7:20 PM
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नयी दिल्ली: जीएसटी परिषद ने एसयूवी, मध्यम आकार की व बड़ी एवं लक्जरी कारों पर उपकर (सेस) की दर को मौजूदा 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 25% करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इससे बड़ी कारें अब और महंगी हो जायेंगी. बताते चलें कि माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के लागू होने के बाद इनकारों की कीमत कम हो गयी थी.

यहां जानना गौरतलब है कि जीएसटी के तहत कारों को उच्चतम दर 28% कर की श्रेणी में रखा गया है. इस वर्ग में वस्तुओं व सेवाओं पर 1-15% तक का सेस भी लगाया गया है, ताकि उससे प्राप्त आय के जरिये जीएसटी में राज्यों को राजस्व में होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके. अब नयी व्यवस्था के तहत एसयूवी और बड़ी कारों पर सेस की दर बढ़ा दी गयी है.

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वित्त मंत्रालय की ओर से जारी किये गये एक बयान के मुताबिक, जीएसटी के बाद कारों पर कुल कर (जीएसटी और सेस मिलाकर) जीएसटी से पहले वाली व्यवस्था के मुकाबले शुल्क कम हो गया था. बयान में आगे बताया गया है, जीएसटी परिषद ने 5 अगस्त को हुई अपनी 20वीं बैठक में इस मसले विचार किया और केंद्र सरकार से सिफारिश की कि वह 8702 और 8703 शीर्षक के तहत आने वाले मोटर वाहनों पर अधिकतम सेस मौजूदा 15% से बढ़ाकर 25% करने के लिए विधायी संशोधन करने का प्रस्ताव रख सकती है. बढ़ा हुआ सेस कब से प्रभावी होगा, इसका फैसला जीएसटी परिषद बाद में करेगी.

गौरतलब है कि सेस में बढ़ोतरी के लिए जीएसटी (राज्यों को राजस्व नुकसान पर मुआवजा) अधिनियम-2017 के धारा-8 में संशोधन की जरूरत होगी. 8702 और 8703 शीर्षकों के तहत आने वाले मोटर वाहनों में मध्यम श्रेणी, बड़ी कार, एसयूवी और 10 से ज्यादा, लेकिन 13 से कम लोगों के बैठाने की क्षमता वाले वाहन आते हैं.

साथ ही, 1500 सीसी से अधिक क्षमता के इंजन वाले हाइब्रिड वाहन तथा 1500 सीसी से कम इंजन के मध्यम दर्जे की हाइब्रिड कारें भी इसमें शामिल हैं. जीएसटी से पहले इन कारों पर 52 प्रतिशत से 54.72% कर लगता था, जिसमें से 2.5% केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) शमिल था. जीएसटी के बाद इन पर कुल टैक्स भार 43% रह गया था.

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